सोमवार, 4 जुलाई 2011

मैं लङाई और लङने में बेहद दिलचस्पी रखती हूँ - शिखा कौशिक

धन्य है ये डागी ! ( हो..हो..हो ) कमाल है भाई ! बिलकुल अपनी मालकिन पर गया है । मैंने परिचय शुरू भी नहीं किया । और ये मुझे ( हो..हो..हो करके )  डराने भी लगा ।
खैर..धन्य है ये डागी ! जिसने सदियों से खङी शिखा जी को बैठा दिया । अब जब शिखा जी बैठ ही गयी ।
  तो प्लीज सिट डाउन एवरीबडी । एन्ड लिसन । बाबाजी प्रवचन ।
कल ब्लाग जगत में घूमते घामते मेरी निगाह " मेरी कहानियाँ " नामक ब्लाग पर गयी । 
वह किन्ही शिखा कौशिक जी का ब्लाग था । मैंने ये नाम ( शिखा कौशिक ) पहली बार सुना ( पढा ) । मैंने सोचा । उसमें शिखा जी ने अपनी कहानियाँ लिखी होंगी । पर उन्होंने तो अपनी छोङकर । न जाने किस किसकी लिख रखी थीं । ठीक उसी तरह - यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ । मत पूछो कहाँ कहाँ ? है संतोषी माँ ।


मुझे तो ( एक भी ) कहानी अच्छी ( नहीं ) लगी । आप भी टाइम खोटी ( मत ) करना । ( लेकिन नहीं मानते । ) तो फ़िर ब्लाग पर जाने के लिये यहाँ क्लिक कीजिये ।
और ये है । शिखा ( जी ) कौशिक का परिचय -
मैं एक शोध छात्रा हूँ ।
- और मेरे शोध का मनपसन्द विषय है - लङाई । इसलिये मैं लङाई और लङने में बेहद दिलचस्पी रखती हूँ । फ़िर वह मुहल्ले वालों से लङाई हो । सास बहू की लङाई । ननद भावज की लङाई etc कुछ भी हो । बस लङाई होना चाहिये । लङाई इज अ मोस्ट इम्पोर्टेंट थिंग आफ़ ह्यूमन लाइफ़ ।
लङाई बेस पर ही तो रामायण गीता महाभारत आदि महाकाव्यों का सृजन हुआ । जिनसे आज इंसान शांति को प्राप्त होकर भक्ति कर रहा है । than i love लङाई । तो इसमें क्या गलत है ?
मेरे शोध का विषय '' हिंदी की महिला उपन्यासकारों के उपन्यासों में स्त्री विमर्श '' रहा है ।
- क्योंकि उनमें लङने के नये नये आयडियाज और पुरुषों की खटिया खङी बिस्तर गोल करने का बेहतरीन मसाला मिलता है ।
समस्त मानव जाति मेरा परिवार है ।
- यधपि आप मेरे आसपास के ( मुझसे ) परिचितों से पूछोगे । तो वे ( झूठे ) यही कहेंगे । नम्बर 1 लङाकू है जी । पर आप उनकी बातों में मत आना । ( मेरे मुहल्ले में ) रात को जब बच्चा रोता है । तो माँ कहती है । ( कहती क्या है । धमकी देती है ) सोता है चुपचाप । या फ़िर बुलाऊँ शिखा को ?


और बच्चा सो जाता है । अब ये सबूत क्या काफ़ी नहीं है । बच्चे भी मुझसे इतना प्रेम करते हैं कि - मेरा नाम लेते ही सो जाते हैं ।
और मैं अपने आसपास विचरण करने वाले जीवों को भी उतना ही स्नेह करती हूँ ।
- वैसे आप एक अजनबी के तौर पर मेरी कालोनी में आयेंगे । और मेरा पता भी किसी से पूछेंगे । तो वह बहुत सहानुभूति से यही कहेगा - थके हारे आये हो भाई ! चाय पानी यहीं पी लो । शिखा चाय पानी तो दूर । सिट डाउन होने को भी नहीं कहेंगी । ( क्योंकि वह खुद ही सिट डाउन नहीं होतीं )
जितना अपने परिवार से ।
- हालांकि मेरी बहन शालिनी ( जी ) कौशिक ने अपने ब्लाग प्रोफ़ायल में लिख रखा है - कि शिखा मुझसे भी बहुत लङती है । पर आप लोग शालिनी जी की भी बातों में न आना । बिकाज..आपको क्या मालूम नहीं । वकील लोग कितना झूठ बोलते हैं ?
ब्लॉग जगत में आप सभी के स्नेह की अपर आकांक्षा है ।
- क्योंकि भले ही मेरा स्वभाव लङाकू सही । पर आपका तो नहीं हैं ना ।
और ये हैं शिखा जी के ब्लाग - विचारों का चबूतरा मेरा आपका प्यारा ब्लॉग । नेता जी क्या कहते हैं विख्यात मेरी कहानियाँ earthly heaven

8 टिप्‍पणियां:

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है किसी ने । nice post

Ankur Jain ने कहा…

kya bat...kya bat...kya bat!!!!

Shalini kaushik ने कहा…

shikha ke bare me ye post chahe jiski bhi hai bilkul sahi hai ab aap yadi meri bat ko sahi mane to meri bat se sadhu shri rajeev ji jhoothe sabit hote hain aur yadi aap unki bat ko sahi mante hain to main jhoothi sabit hoti hun is tarah ye ninay ab aapke hath me hai ki kaun sahi bol raha hai vaise shikha par kee gayee unki ph.d. ke kya kahne.sabhi kuchh............ha ha ha ha ha ha ha

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

बहुत उम्दा प्रस्तुति !!!

शिखा कौशिक ने कहा…

nice post

SANDEEP PANWAR ने कहा…

बढिया है

Nidhi ने कहा…

अपने मुंह से अपनी इतनी तारीफ़ कम ही लोग कर पाते हैं....बढ़िया है!

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

राजीव जी बहुत सुन्दर ब्लॉग का बहुत सुन्दर परिचय दिया...आभार