रविवार, 2 दिसंबर 2012

शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

ये फुल-टू-फटाक मस्ती लेता हुआ वतन....!!


मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!अपनी चिंताओं को इस तरह प्रकट कर रहे हैं,अगर आपको लगे कि यह वाजिब है तो हमें जगह दें ,हम आपके आभारी रहेंगे !!
ये फुल-टू-फटाक मस्ती लेता हुआ वतन....!!
              अन्ना-टीम के अनशन समाप्त होने के बाद शायद अब आगे अनशन जैसे कार्यक्रमों की संभावना कम ही दिखाई पड़ती है !,अनशन समाप्त करने की वजह प्रकट में चाहे जो भी बतायी जाए मगर अप्रकट में बहुत सारे रहस्य हैं,जिनका प्रकटीकरण अब शायद कभी नहीं हो,ऐसी संभावना भी बनती है,सबसे बड़ी बात तो यह है कि असंवेदनशील-दम्भी-हरामी और चाटुकारों से घिरे शासकों के सम्मुख बीन बजाने का फायदा भी क्या ?
               मगर यहीं पर आगे चीज़ों के उग्र रूप धारण कर लेने की संभावना भी बनती दिखाई पड़ती है !मोटी-सी बात यह है कि आज की परिस्थितियों में साधारण से साधारण चीज़ों के लिए भी,जनता को अपने निम्नतम हक़ के लिए भी सड़क पर आने को विवश होना पड़ता है तो शासकों की यह अंधेरगर्दी भला कब तक चल सकती है ?
               इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि टीम-अन्ना जैसी प्रतिभाशाली लोगों की टीम ने अब तक सिर्फ एक सवाल भ्रष्टाचार को लेकर ही यह आन्दोलन खडा किया है,जिससे शायद शहर की जनता के सिवा किसी को कोई सरोकार नहीं है,बल्कि इस आन्दोलन के चलते अन्य बहुत सारी जन-उन्मुखी समस्याएँ और देश के अन्य कुछ हिस्सों में अन्य कुछ लोगों द्वारा किये जा रहे बहुत से अत्यंत महत्वपूर्ण आन्दोलन भी हाशिये पर डाल दिए गए हैं !
               टीम-अन्ना को अब यह मंथन करना ही होगा कि अगर सच में वो एक राजनीति-दल होने की राह में है तो देश में बेशक भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या है मगर साथ ही अन्य बहुत सारे प्रश्न भी हैं और वो प्रश्न इतने ज्यादा अहम् हैं कि ये सारे प्रश्न एक साथ ही अपने हल किये जाने की मांग करते हैं,किसानों-मजदूरोंऔरतों-बच्चों और ऐसे ही आम लोगों से सम्बंधित ऐसे हज़ारों-हज़ार सवाल हैं जो अपने अति-शीघ्र हल किये जाने की तलाश में हैं .
               अब एक प्रश्न मीडिया का भी है,विदेशी पूँजी की चकाचौंध में डूबा इतराता और अपनी पीठ आप ही ठोकता यह मीडिया आज सबसे सिरफिरा दिखाई देता है,भले ही इस मीडिया ने सैंकड़ों पर्दाफ़ाश किये हों मगर सत्ता के साथ इसके गठजोड़ को कौन नहीं जानता है और इस सांठ-गाँठ से यह क्या-क्या हासिल करता है अगर सच में जनता इसे समझ-जान जाए तो आम जनता इसे भी किसी दिन ठोक डालेगी,समझने वाले लोगों ने तो दरअसल इसका विश्वास करना भी छोड़ दिया है क्योंकि अब वो जानते हैं कि बहुत सारे पर्दाफाशों के बाद बहुत सारी बंदरबांट हुआ करती है और इस बंदरबांट के पूर्ण होते ही वही मीडिया अपना मुहं ऐसा सीम लेता है जैसे इसने कभी मूंह खोला ही नहीं था !मगर अब यह रहस्य भी अब बहुत छिपा नहीं रह गया है !
               बीजिंग ओलिम्पिक के बाद इस ओलिम्पिक तक हम ना सिर्फ खेलों में बल्कि तमाम चीज़ों में चीन नामक एक पडोसी देश के उभार को देखते आ रहे हैं !कल तक भारत से भी फिसड्डी यह देश अगर आज विश्व का सिरमौर बनने जा रहा है,बल्कि तकरीबन बन ही चुका है तो इसके पीछे ऐसा क्या है,ऐसी कौन-सी बात है जिसने सवा-डेढ़ अरब लोगों का बोझ ढ़ोते एक भूमि को सबसे आगे ला खडा कर दिया है !!और मज़ा यह है कि इसके पीछे कोई रहस्य नहीं है दोस्तों बल्कि सिर्फ एक वजह है मेहनत-मेहनत और मेहनत !!सिर्फ कार्यकुशल कर्मठता ही बेहतर परिणाम दे सकती है मगर इसके ठीक उलट हम क्या हैं काहिल-नकारा....मेहनत से जी भरकर जी चुराने वाले,सिर्फ सपने देखने और ज़रा-ज़रा सी सफलता पर फूल कर कुप्पा हो जाने वाले एक बेवजह की भीड़.....धरती पर एक बेवजह का बोझ....ज़रा अपने इस फालतुपने पर क्षण भर के लिए ही सही,मगर विचार करें हम एकाध करोड़ मीडिया से जुड़े हुए और विचारों में खुद को बड़े तीसमार खाँ समझते हुए लोग !!
                  फिलहाल टी.वी-इंटरनेट-मोबाइल-आईपॉड और अन्य एप्स के चटखारे लेता हुआ कुछ करोड़ मध्यवर्गियों का यह वतन फुल-टू-फटाक मस्ती की नींद सो रहा है,बिना यह जाने और समझे हुए कि बाकी के अरबों लोगों के साथ दरअसल क्या हो रहा है !जिस किसी भी दिन यह जागेगा और और उन अरबों प्रताड़ित लोगों के दुःख-दर्द से खुद को जोड़ेगा तभी कोई सच्ची और संभावना नज़र आती है और एक बात बता दूं अभी तो यह नज़र ही नहीं आ रही !इसलिए आन्दोलनों की परिणिति ऐसी हुई जा रही है !!
                बिना किसी दिशा के कुछ भी करना एक बहुत बड़ा पागलपन है और यह बेतुका पागलपन सबसे पहले तो यहाँ सत्ता करती है,और उससे भी बड़ा उसका विरोध करने वाले जबकि सबका स्वार्थ महज एक है कि शाम-दाम-दंड-भेद किसी भी प्रकार से अपना घर भरना !!और जब जनता को बार-बार "........"बनाकर सिर्फ सरकार बदलना भर आपका मकसद हो तो जनता आखिर कब तक खुद को ठगा जाता महसूस करके भी आपका साथ देगी....मज़ा तो यह है कि सौ अरब लोगों को तो यह तक मालूम नहीं है कि विभिन्न सरकारों द्वारा उनके लिए तरह-तरह की योजनायें लागू हैं और वो पूरी-की-पूरी या कुछ या बहुत सारे अंशों में कुछेक हजार लोगों द्वारा हाइजैक कर ली जा रहीं हैं इसमें सत्ता-दलाल-स्वयंसेवी संगठन-मीडिया और कुछ महत्वपूर्ण लोग पूरी तरह से लिप्त हैं और मैं यह सोच कर चिंतित हूँ कि जब जनता को इस भयानक "घोटाले"(इसके अर्थ को पाठक कई गुणा कर लें !!)का पता चलेगा तब वह इस सबमें लिप्त इन सब लोगों का क्या हश्र करेगी !!??

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सोचता तो हूँ कि एकांगी सोच ना हो मेरी,किन्तु संभव है आपको पसंद ना भी आये मेरी सोच/मेरी बात,यदि ऐसा हो तो पहले क्षमा...आशा है कि आप ऐसा करोगे !!

सोमवार, 30 जुलाई 2012

हमारे लिए इस दौर के लिए कुछ सबक.....आमीन.....!!



हमारे लिए इस दौर के लिए कुछ सबक.....आमीन.....!!
बस एक बात बता दे मेरे पगड़ी वाले भाई.....अगर तूने कोई करप्शन नहीं किया है तो ये थेथरई काहे की....लोकपाल ला दे ना.....इसमें दिक्कत क्या है भला.....जैसे मिलजुलकर राष्ट्रपति दे दिया...वैसे ही एक लोकपाल भी दे दे.... !!
एक और बात बता मेरे पगड़ी वाले भाई.....क्या जंतर-मंतर पर बैठे लोग पागल हैं....??वहशी हैं....??दरिन्दे हैं....कि राक्षस.....??....या फिर निजी रूप से तेरे दुश्मन.....??......यार क्या तू और तेरी टीम ही देश की सच्ची खेवनहार है.....??बाकी सब चोर हैं....??अरे यार.....तू इतना बड़ा पढ़ा-लिखा अर्थशास्त्री है.....काहे को ये निर्लज्जता भरी बेईमानियाँ कर रहा है यार....??.....जब सारा देश पुकार रहा है....अन्ना....अन्ना.....अन्ना.....और तू और तेरी टीम शर्म-हीन बयान दे रही है.....अरे यार कुछ तो रहम करो....देश पर नहीं तो खुद पर ही....उम्र के अंतिम पायदान पर भी क्या तुम लोगों को बुद्धि नहीं आती....!!??
एक सवाल मन को हमेशा मथता रहता है...कि जो दर्द वतन के लिए सबको होता है......वो भारत के रहनुमाओं को कभी भी क्यूँ नहीं होता....क्या वो मिटटी खाते हैं कि टट्टी.....!!?? 
अब एक बात आप सब बताईये ना दोस्तों....अगर अगर आपके पास ढेर सारा पैसा हो मगर आपके कामों के कारण आपके वतन की संसार में कोई इज्ज़त ही ना हो तो आप क्या ज्यादा पसंद करेंगे.....अपना पैसा.....या वतन की इज्ज़त ?? 
मैं अन्ना बोल रहा हूँ.....केवल सत्ता ही नहीं.....हम सब भी अपने-अपने स्तर पर तरह-तरह की हरामखोरियाँ-बेईमानियाँ और करप्शन करते हैं.....और यह समाज के प्रत्येक स्तर पर होता है.....आन्दोलन के इस चरण में अपने भीतर झाँक कर हम सब अपने भीतर देखकर अपने बारे में भी सोच लेन कि हममें से कौन कितना बड़ा कमीना है !!
आप ऐसा मत कहिये कि मैं आपलोगों के प्रति कुछ कड़े अथवा असंसदीय शब्दों का उपयोग कर रहा हूँ....सच तो यह है कि जब तक हम खुद के प्रति कड़े नहीं हो जाते.....तब तक धरती पर कोई भी आन्दोलन सार्थक नहीं हो सकता !!
सिर्फ एक मेले या मीनाबाजार की तरह कहीं किसी जगह विशेष पर भारी भीड़ कर देने से कुछ हल नहीं होने को....अगर हम नागरिक भी भ्रष्ट हैं तो लोकपाल तो क्या उसका बाप या उसके बाप का बाप भी इस देश का उद्धार नहीं कर सकता......!!
एक बात जान लीजिये मेरे देश के इज्ज़त-परस्त नागरिकों.....आज हम जो सत्ता को गालियाँ दे रहे हैं.....दिए जा रहे हैं....मगर हम खुद भी कौन से ऐसे पाक-साफ़ हैं....और ऐसा कौन सा काम हमने किया है जिससे हमारा खुद का कोई देश-प्रेम या वतनपरस्ती साबित होती है....??खुद हरामी रहकर दूसरों को उपदेश देने वाले हम....कल को सोचिये कि हमारे बच्चे ही हमसे पूछ बैठे कि "क्या पापा आप भी....??मैंने तो सोचा भी नहीं कि आप भी इन देश-द्रोहियों और हरामियों की तरह कमीने हो.....!!??".....दोस्तों सबसे पहले खुद से कुछ खड़े कीजिये...आप खुद समझ जायेंगे कि आपमें किसी आन्दोलन में शरीक होने कि योग्यता है भी कि नहीं....!!  
बड़ा मज़ा आ रहा है ना आन्दोलन करने में......मगर अगर सत्ता ने लाठियां बरसाई.....तब देखेंगे कि किस्में कितना दम है....!!दोस्तों इस देश को दरअसल आज़ादी कभी मिली ही नहीं थी....सिर्फ गोरे अंग्रेजों द्वारा काले अंग्रेजों को सत्ता का हस्तांतरण भर हुआ था....इसलिए अंग्रेजों के बनाए हुए काले कानूनों को ढोती हुईं तमाम सरकारें आज तक जनता के साथ हर स्तर पर हैवानियत भरा नंगा खेल खेलती रही !!
दोस्तों !बहुत सारे लोग इस आन्दोलन में शरीक होकर अपने सारे पुराने पापों को धो लेना चाहते हैं....वे इस आन्दोलन में शामिल होकर गंगा नहा लेने का लाभ ले लेने की फिराक में हैं....ऐसे लोगों को भी पहचानिए....और उन्हें मार भगाइए....वरना इस आन्दोलन की धार कुंद पड़ जायेगी....!!
और अंत में यही कि एक सच्चे-अच्छे एवं दुर्भावना-हीन समाज को गढ़ने के लिए खुद के भी सच्चे समर्पण की आवश्यकता होती है....ऐसा कभी भी नहीं हो सकता कि हम तो लालच-फरेब-दुर्भावना-उंच-नीच-धर्म-सम्प्रदाय की अपवित्र भावनाओं से भरे हों....और एक अच्छे समाज का बेतुका सपना देखते रहें.....हमेशा एक बात याद रखिये.....कि जिन हथियारों से आप लैस हो....वैसा ही समाज आप गढ़ पाओगे...जय-हिंद....वन्दे-मातरम्.....सत्यमेव-जयते.....!!!  
सोचता तो हूँ कि एकांगी सोच ना हो मेरी,किन्तु संभव है आपको पसंद ना भी आये मेरी सोच/मेरी बात,यदि ऐसा हो तो पहले क्षमा...आशा है कि आप ऐसा करोगे !!

रविवार, 29 जुलाई 2012

शायद अब हम कुछ भी नहीं बचा सकते.....!!??


शायद अब हम कुछ भी नहीं बचा सकते.....!!??
               बहुत अजीब हालत है मेरे मन की !!बहुत कुछ लिखना चाहता हूँ, कहना चाहता हूँ,गाना चाहता हूँ,मंचित करना  चाहता हूँ....पल-दर-पल आँखों के सम्मुख बहुत कुछ घटित होता रहता है,जो मानवता को शर्मसार और मुझे व्यथित करता रहता है,जिससे पीड़ित होकर खुद को व्यक्त करना चाहता हूँ मगर साथ ही कुछ भी लिखने में लगने वाले वक्त की अपेक्षा अपने लिखे जाने के "अ-परिणामों " पर विचार करता हूँ तो अपने लिखे हुए को बिलकुल "अ-सार्थक " पाता हूँ !!और इस कारण लेखन-कर्म मुझे एकदम से बेकार और वाहियात कर्म लगने लगता है !!
               रोज जब भी नेट पर बैठता हूँ तब कई प्रकार की वेदना होती है मन में,जो कभी भी बिलकुल से निजी समस्याओं की वजह से नहीं,बल्कि अपने आस-पास घटने वाली दुःख देने वाली घटनाओं के कारण उपजती हैं,जिन्हें मैं मिटा नहीं सकता,मिटा भी नहीं पाता...और कुछ भी नहीं बदल पाने का यह गम मुझे सालने लगता है....जी घुटने लगता है...मगर कोई उपाय भी नहीं होता मेरे पास खुद को राहत देने का...क्योंकि गैर-तो-गैर अपने भी सीधी-सच्ची और सूरज या आईने की तरह साफ़ सी चीज़ तक को नहीं मानते....कोई भी व्यक्ति महज अपने आत्ममुग्ध अहंकार की वजह से अपनी गलतियों को नहीं मानता और ना सिर्फ वो अपनी गलती नहीं मानता बल्कि सीधा-साधा यह तक भी एलान कर डालता है की मैं ऐसा ही हूँ...मेरे साथ मेरी शर्तों पर निभाना है तो ठीक...वरना मैं चला....यह थेथरई धरती के तकरीबन समस्त मानवों में है,जो दरअसल धरती की सारी समस्याओं की जड़ भी है !!
               मगर किसी समस्या का दरअसल कोई ईलाज नहीं है क्योंकि आप किसी को उसकी गलतियों की माफ़ी के लिए विवश तो दूर,उसे इस बात को मानने को भी तैयार नहीं कर सकते कि उसने कोई गलती भी है !! और इस तरह सारी धरती पर ऐसी-ऐसी बातों पर बाबा आदम के जमाने से ऐसे-ऐसे झगड़े होते चले आ रहे हैं, जिनका की मानव जाति से दूर-दूर तलक का भी नाता नहीं होना चाहिए था,मगर ना सिर्फ ऐसा होता चला आ रहा है,बल्कि ऐसा ही होता भी रहना है,तो फिर मेरे या किसी के भी किसी भी माध्यम से खुद को अभिव्यक्त करने का कोई अर्थ भी है ??.....है तो भला क्या अर्थ है....??
               हर महीने की किसी तारीख पर जब  नेट का कनेक्शन ख़त्म हो जाता है तब कई दिनों तक इसी उधेड़-बून में रहता हूँ कि उसे फिर से भरवाऊँ कि ना भरवाऊँ....क्योंकि मेरा जो काम है वो सिर्फ मेरे कुछ भी व्यक्त-भर कर देने से खत्म नहीं हो जाता....दरअसल मेरा काम तो मेरे खुद को व्यक्त करने के बाद ही शुरू होता है।....जो कि कभी शुरू ही नहीं होता.....मेरे भीतर वेदना चलती रहती है....चलती ही रहती है !!
              इस वेदना का क्या करूँ मैं....लोगों की आत्मा को जगाने के प्रयास में लगी मेरी अभ्यर्थना....मेरा लेखन अपने किसी लक्ष्य को पाता नहीं प्रतीत होता ऐसे में फेसबुक का क्या करना है...ब्लॉगों का क्या करना है...या अन्य किसी भी अभिव्यक्ति का क्या होना है.....और जब कुछ होना ही नहीं है...तब मुझे भी भला क्यूं होना है......इन्हीं सब छिछली बातों में मैं झूठ-मुठ का वक्त शायद जाया करता आया हूँ,और शायद मरने तक ऐसा ही चलता भी रहेगा.....!!
             ऐसे में, मैं नहीं जानता कि मैं धरती पर अपने होने का क्या करूँ......मैं नहीं जानता कि हम सब धरती पर खुद को धोने के अलावा अपने होने से अपने होने का क्या साबित कर रहें,जबकि धरती आदमी से कलंकित है......और मानवता भी आदमी से शर्मसार है....!!??

भाई आमिर.....इन बुलंद हौसलों को सलाम....!!


         भाई आमिर.....इन बुलंद हौसलों को सलाम....!!
       एक बार फिर आमिर मैं तुम्हारे प्रोग्राम को देखते हुए कई बार भीतर ही भीतर रोता रहा,ये आंसू किन्हीं लोगों के जज्बे के,ईमानदारी के,हिम्मत के और अपने काम द्वारा समाज के सम्मुख एक मिसाल बन जाने वाली प्रेरणा के लिए थे,मैं रोया इस बात पर भी कि नौ साल का एक बच्चा,सब्जी बेचने वाली कोई औरत,कोई अशक्त-विकलांग व्यक्ति,तो कोई अशिक्षित व्यक्ति या कोई बूढ़ा-बुजुर्ग व्यक्ति किसी दर्द या समस्या को सामने पाकर बजाय हिम्मत हारने के उसके सामने कैसे दहाड़ कर खड़ा हो जाता है और वह समस्या या वो दर्द कैसे उसके सामने दुम दबाकर भाग खड़ी होती है !! मेरे सामने इससे भी बड़ी बात यह है कि कोई भी व्यक्ति किस प्रकार किसी विकट परिस्थिति के सामने आने पर अपने हौसले से उसे बौना साबित कर कर देता है और अपने कर्म के लिए वो जिस भी किसी क्षेत्र का चुनाव करता है उस क्षेत्र का कद भी विराट हो जाता है....आमिर इन बुलंद हौसलों को सलाम मगर एक सवाल मुझे अपने आप से भी है हम पढ़े-लिखे लोग जो अपनी जिन्दगी में टाईम नहीं है-टाईम नहीं का रोना रोता रोते है और अपनी जिन्दगी की अनगिनत समस्यायों को लोगों को गिनाते नहीं थकते....और इस तरह इन बहानों से खुद को अखिल/अखंड सामाजिकता और सरोकारों से बचाए रखते हैं.....ऐसे कार्यक्रमों से शायद हम जैसों को भी कोई दिशा मिले और हम जैसे समाज के लिए नकारा लोग भी समाज की इन जद्दोजहदों में खुद को शामिल कर खुद का ज़िंदा होना साबित कर सकें !!जय-हिंद....वन्दे-मातरम्...सत्यमेव-जयते !!    

http://rajivthepra.blogspot.in/ 
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रविवार, 22 जुलाई 2012

भाई आमिर,नमस्कार !!

भाई आमिर,नमस्कार 
               सत्यमेव जयते के सारे एपिसोड देख-देखकर द्रवित और उद्वेलित होता रहा हूँ,हर बार कुछ कहना भी चाहा,मगर रह गया.मगर अब देखा कि अगला एपिसोड आखिरी होगा तो सोचा कह ही डालूं !बड़े अनमने मन से कह रहा हूँ हालांकि,क्यूंकि बहुत कुछ बहुत सारे लोगों द्वारा कहा/लिखा जाता रहा है,कहा/लिखा जाता रहता है,कहा/लिखा जाता रहेगा....मगर बात उसके प्रभाव की है,उसके परिणामों की है और यह अगर हर बार शून्य ही रहना है तो कुछ भी कहना/लिखना या किसी भी माध्यम से कुछ भी व्यक्त करना है तो पागलपन या सिरफिरापन ही फिर भी यह सब कुछ सिरफिरों या पागलों द्वारा किया जाता रहेगा और उनमें से सदा मैं भी एक रहूंगा ही !!
               पता है आमिर,हमारी समस्याएं या उनकी जड़ कहाँ हैं ??हमारी हर समस्या की जड़ है हमारा देश के प्रति मानसिक रूप से विकलांग होना !!हम कभी नहीं समझते कि हमारा जीना और और अपने बाल-बच्चों के लिए कमाना-खाना भर ही हमारा जीवन नहीं है !हमारे जीने के लिए अपनाए जा रहे साधनों से अगर दूसरों की आजीविका या जीवन के अन्य प्रश्नों पर कोई गहरी मुसीबत आती हो तो यह एक समस्या है !!हमारे रहने के,जीने तौर-तरीकों से दूसरों पर कोई मुसीबत आती हो तो यह एक समस्या है,हमारी गन्दी आदतों से मोहल्ला/शहर/देश परेशान होता हो तो यह एक समस्या है !!
               पता है आमिर कि हमारे जीवन में हुआ क्या है ??हुआ यह है कि जीवन जीने की आपाधापी में हमने ना सिर्फ अपने परिवार को खोया है बल्कि अपने उन सारे जीवन सामूहिक जीवन मूल्यों को भी खोया है जिन पर हम नाज करते थे और अपनी सामूहिकता के कारण जीवन जीने की बहुत सारी उपयोगी चीज़ों को बचाए रखते थे,चूँकि बहुत सी चीज़ें हमारी आदतों के कारण सामूहिक थीं इसलिए उन्हीं चीज़ों के कारण हम अपने आप एक दूसरे से जुड़े हुए होते थे !अब इस जुड़ाव के कारण क्या-क्या होता है, सुनों.....हम एक-दूसरे के साथ बैठते हैं....गप्पें लडातें हैं...हंसी-ठठ्ठा भी हो जाया करता है....आपस में संवाद भी कायम होता है और बातों-बातों में एक-दूसरे की समस्याओं का भी पता चलता है और उन्हें साथ मिलकर हल करने का अवसर भी....तो अनजाने में ही पाल ली गयी आदतों का सूत्र हमें स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे के साथ जोड़े हुए रखता है !!
              अब जब बेतरह साधनों के जुगाड़ ने हमारी ऐसी कमर तोड़ डाली है कि हम अपने खून के परिवार के रिश्तों से ही मरहूम होते चले गए हैं तो फिर गाँव-मोहल्ले-देश और समाज की सामूहिकता की बात करना मजाक सा ही लगता है !!अब मज़ा यह है कि समस्याएँ तो समूह की ही हैं मगर समूह पूरी तरह से ना सिर्फ बिखर ही चुका है बल्कि एक-दूसरे को जानता तक नहीं है !!तो जो समूह (भीड़ कहूँ तो अच्छा होगा !!)एक दूसरे की शक्ल तक से परिचित नहीं है, वो एक-दूसरे की मदद तो क्या ख़ाक करेगा !!...तो हमारे समाज की समाज की सारी समस्याएं यही हैं !! मगर फिर भी एक बात थी जो हमें एक-दूसरे से जोड़े रखने में बड़ी मदद कर सकती थी,वो एक संभावना थी "देश-प्रेम !!"मगर देश-प्रेम को तो हम कब का गटर में डाल कर रोज उसपर अपना टट्टी-पेशाब डाल रहें हैं....तो फिर आमिर क्या संभावना है हमारे समूह की समस्याएँ आसानी से हल हो जायेंगी....!!
              फिर भी आमिर यह भी सच है कि इसी देश अलग-अलग जगहों पर बहुत सारे लोग निजी तौर पर बहुत सारे प्रयास करते आयें हैं और कर भी रहें हैं मगर मेरी दिल में तब भी इस बात पर दर्द भर आता है कि वो किन्हीं अन्य लोगों की प्रेरणा का कारण नहीं बन पाते या हमारे प्रशासन या हमारी सरकारें अपनी जनम-जनम की नींदों से नहीं जाग पाती कि हम हम सबके अलग-अलग या सामूहिक मानस में अवश्य ही कोई खोट है कि ऐसे बहुत सारे वन्दनीय लोगों के अनुकरणीय उदाहरण भी हमें जगा नहीं पाते....हमें उद्वेलित नहीं कर पाते....ये कैसी गड़बड़ है हमारे भीतर कि हम ना तो खुद ही कुछ करते हैं और ना ही किसी करने वाले का आगे बढ़कर साथ देते हैं.....और इस तरह सारे अनुकरणीय लोग   "अकला चलो रे !!" की तर्ज़ पर अकेले ही चले जा रहें हैं !!बस ईश्वर के लिए मेरे लिए राहत की बात यही है कि ये अकेले लोग भी अपने-आप में इतने मजबूत-दिल हैं कि इन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि इनके साथ कोई है भी कि नहीं है !!
              मगर मेरा मुख्य प्रश्न यही है कि हम भारतीय इतने जिद्दी....इतने थेथर क्यूँ हैं कि कैसी भी बात पर अब हम नहीं पसीजते....बहुत सी ऐसी चीज़ें जो महज हमारी बुरी आदतों के कारण हैं,अपनी उन आदतों को नहीं छोड़ते ! बहुत-सी ऐसी समस्याएँ जो चुटकियों में हल हो जाए उन्हें अपने किस अहंकार के कारण टाले हुए रखते हैं !तो बहुत सारी समस्याएँ तो हमारी घटिया मानसिकताओं से सृजित हैं और हम अपनी मानसिकता को बदलने को तैयार ही नहीं होते !!.....हम इतने बूरे क्यों हैं आमिर कि हम अपने देश के लिए.....कि हम खुद अपने खुद के लिए... कि हम अपने सब कुछ की बेहतरी के लिए भी कोई सामूहिक प्रयास करने को उद्दृत नहीं होते.....!!हम अपने निजी गुस्से के अलावा किसी भी सामूहिक हित के लिए उद्वेलित नहीं होते !!....हम अपने शहर-राज्य या देश के सम्मान की परवाह करना तो दूर,उसकी अवहेलना तक करते हैं !हमारे खुद के हित के लिए बनाए गए उसके कायदे-क़ानून तक की अवहेलना करते हैं !!
              और आमिर !!हमारे द्वारा हर पल की जाने वाली यही अवहेलनाएं अंततः हमारे गर्त में जाने का रास्ता बनाए जा रही हैं,यह भी तो हम नहीं जानते !!....आमिर चाहता तो हर एपिसोड के हर विषय पर अलग-अलग ही कुछ लिखता....मगर आपके पास शायद इतना वक्त नहीं होता...और फिर मेरे द्वारा लिखी गयी हर बात में सार तो यही होता....और रही वक्त की बात...तो वक्त तो हम सबके पास इतना होता है कि हम सब जीते हैं,अपनी-अपनी समस्याएँ सुलझाते हैं....ऐश-मौज करते हैं....ना जाने क्या-क्या करते हैं....अपने परिवार की शान भी बनते हैं....कभी-कभी तो हम ऐसे-ऐसे भी काम करते हैं कि उससे शहर-राज्य और देश की शान में इजाफा होता है मगर असल में प्राथमिकता हमारा देश नहीं होता.....हमारा खुद का अहंकार ही होता है.....काश कि हम सब में से सब लोग थोड़ा-थोड़ा ही बस भर देश के लिए भी जी जाएँ तो इस मादरे-वतन की शक्लो-सूरत सदा-सदा के लिए बदल जाए....!!                                                           जय-हिंद !!सत्यमेव-जयते !!          

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गुरुवार, 19 जुलाई 2012

YATIN'S BLOG -UNIQUE BLOG


मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है।



BLOG OWNER -YATIN RANA


मेरा फोटो 
yatin Rana from Gajraula (U.P.) ek aam insaan hu, koi writer nahi hu kewal copy paste karta hu. Aur by nature thoda sararti hu , mostly kush rehta hoon, but very emotional by nature. zindagi ki chhoti chhoti cheezon me khushiyan talash leta hu.


MY VIEW -VERY GOOD BLOG AND UNIQUE BLOG .
                  VISIT THIS BL sp;                                 WITH BEST WISHES 
                                         SHIKHA KAUSHIK 

वीणापाणी -NICE BLOG

BLOG'S NAME -

वीणापाणी

BLOG'S OWNER-

डॉ.राधिका

HER INTRODUCTION -
Firstever Lady VIchitra veena playerBorn in a family of musicians, Radhika is the grand daughter of late Pt. Balabhau Umdekar popularly known as “Kundal Guru”, a great exponent of Gwalior Gharana of Hindustani classical music. Ranked as a “High” Grade artist, Radhika is the disciple of Pt. Vishwa Mohan Bhatt and her father Shri Shriram Umdekar, a well known ‘Sitar’, Surbahar’ and Rudra Veena artist.Radhika has made a lot of changes in the instrument which allows her to produce sound effects of contemporary stringed instrument which is not attempted by any other player of Vichitraveena. Radhika plays both “Gatkari” as well as “Dhrupad” anga on Vichitraveena.         Achievements: 1-       Honoured by the title of “TOYI” (Ten Outstanding Young Indian) by Indian Jaycees. 2-       Honoured by the title of “Surmani” by Sursingar sansad Mumbai 2002. 3-       Honoured by the title of “Gwalior Ratna” by Gwalior Jaycees. 4-       Honoured by the title of “Sangeet Kala Ratna” by Matru Udbodhan Ashram, Patna. 5-       Honoured by the title of “Nadsadhak” by Nad Sadhna Samiti, Agra. 6-       Awarded National Talent search Scholarship by centre for cultural resources and training, New Delhi. 7-       Awarded Durlabh sangeet shaily scholarship by Ustad Alauddin khan sangeet Academy Bhopal. 8-       Awarded Scholarship by Ministry of tourism & culture, Govt. of India for Vichitraveena. 9-       Gold Medal at 13th Yuva Sangeet Nritya Mahotsav organized by south central zone cultural in 2000. 10-   She participated at the All India Radio music competition held by Akashvani was given special award and Gold medal and recognition as approved artist of all India Radio. 11-   Bronze Medal at National Youth Festival Calcutta in 1997. 12-   Appreciated by Ustad Amjad Ali Khan and Violin maestro Late Pt. V.G. Jog while performing at Hafiz Ali Khan trust in 1998. 13-   Smt. Usha Rammurti late Pt. Gopal shankar Mishra Ustad Shmim Ahmad and Pt. Giriraj appreciated the immense talent in the “Vichitraveena”. 14-   CD released by Musician’s guild Mumbai.          Performances: Radhika has performed in various prestigious music conferences successfully which includes Tansen sangeet Samaroh, Gwalior,  Uttaradhikar at Bharat Bhavan Bhopal, Swarna Sangeet Pratibha Utsav (oraganised by Sangeet Natak Academy) , Jaipur, Kirti Kala Mandir Nashik, Deshpande Auditorium Nagpur , Shani Mandir, Indore, Kal Ke Kalakar Sangeet Sammelen, Haridas Sangeet Sammelan Mumbai, Durlabh Vadhya Vinod in Bharat Bhavan, Bhopal, Chandigarh Sangeet Sammelan, Dhrupad Mela, Banaras  Dhrupad Samaroh Jaipur, Dhrupad Virasat Samaroh Jaipur,Swayamsiddha  etc. She regularly performs Vichitra Veena for AIR and T.V.

MY VIEW-VERY NICE BLOG .YOU SHOULD VISIT THIS BLOG .
                                                                 WITH REGARDS 
                                                              SHIKHA KAUSHIK 

बुधवार, 11 जुलाई 2012

योगदान हेतु हार्दिक आभार

काफी समय से इस ब्लॉग पर कोई पोस्ट न करने वाले कुछ ब्लोगर्स को हटाया जा रहा .यदि आप भी इस ब्लॉग के योगदानकर्ता बने रहना चाहते हैं तो समय समय पर पोस्ट करते रहे .हटाये गए योगदानकर्ताओं द्वारा पूर्व में किये गए योगदान हेतु हार्दिक   आभार     .
                shikha  kaushik  

बुधवार, 27 जून 2012

अंदाज ए मेरा: भारत के नक्‍शे में करांची और पाकिस्‍तान...

अंदाज ए मेरा: भारत के नक्‍शे में करांची और पाकिस्‍तान...: सरबजीत सिंह एक पुरानी कहावत है, चोर चोरी से जाए, पर हेराफेरी से न जाए। पाकिस्तान का भी यही हाल है। किसी समय भारत की दया पर जिंदा रहने और ...

शनिवार, 16 जून 2012

अंदाज ए मेरा: शीर्षक सुझाएं.....

अंदाज ए मेरा: शीर्षक सुझाएं.....: कुछ दिनो पूर्व एक अखबार के शीर्षक और इसे लेकर फेसबुक पर चली लंबी बहस ने काफी कुछ सोचने मजबूर किया। अखबार में एक खबर का फालोअप था और शीर्ष...

सोमवार, 11 जून 2012

अंदाज ए मेरा: लोकतंत्र का मजाक!

अंदाज ए मेरा: लोकतंत्र का मजाक!:  यह लोकतंत्र का कौन सा चेहरा है ? लोकतंत्र में बहुदलीय प्रणाली की व्यवस्था है। अलग-अलग दलों के लोग चुनाव मैदान में होते हैं और उनमें से जनता...

गुरुवार, 17 मई 2012

'ब्‍लॉग मोहल्‍ला ''-A NEW BLOG

THIS IA A NEW BLOG ...UNIQUE BLOG .JUST SEE AND ENJOY .

''ब्‍लॉग मोहल्‍ला ''

RECENT POST -

ब्‍लॉग मोहल्‍ला की चुन्‍निदा पांच पत्तियां

                     ALOK MOHAN IS THE OWNER OF THIS BLOG .
                                                             HAVE A NICE DAY 
                                                                    SHIKHA KAUSHIK 

सोमवार, 14 मई 2012

अंदाज ए मेरा: सवाल ही सवाल???

अंदाज ए मेरा: सवाल ही सवाल???: ... और नक्सली घटनाएं हो रहीं हैं। एक तरफ सरकार नक्सलियों से बात करने का दावा कर रही है। सरकार की बनाई हाईपावर कमेटी नक्सलियों की रिहाई क...

शनिवार, 12 मई 2012

अंदाज ए मेरा: मां..... जाने कहां गई

अंदाज ए मेरा: मां..... जाने कहां गई: मार्च 1973 की तस्‍वीर। जब मैं दो महीने का था.... अपनी मां की गोद में। बगल में मेरा 2 साल का भाई बैठा है। यूं ही ननिहाल में पुराने एलबम पलट...

सोमवार, 7 मई 2012

अंदाज ए मेरा: ...वरना नहीं मिलेगी माफी!

अंदाज ए मेरा: ...वरना नहीं मिलेगी माफी!: बारह साल। ढाई बार पीएससी परीक्षा! वह भी अधर में! छत्तीसगढ़ में सरकार की नाकामी का यह बड़ा उदाहरण है। साथ ही यह बताने के लिए भी काफी है कि...

शुक्रवार, 4 मई 2012

अंदाज ए मेरा: ‘यार, ये एलेक्स तो बड़ा मतलबी निकला...!’

अंदाज ए मेरा: ‘यार, ये एलेक्स तो बड़ा मतलबी निकला...!’:  ‘फक्र है हमें कि हमने अपने कर्तव्यों की पूर्ति के लिए अपनी जान दे दी। हम एक पल भी नहीं डिगे और हमने वो काम अपनी आखिरी सांस तक करने की...

बुधवार, 2 मई 2012

अंदाज ए मेरा: क्या समझौता? कैसी शांति? कैसी रिहाई?

अंदाज ए मेरा: क्या समझौता? कैसी शांति? कैसी रिहाई?: सरकार ढोल पीट रही है कि उसने सुकमा के कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन की रिहाई का रास्ता आखिर तय कर लिया। सब कुछ ठीक रहा तो गुरूवार को मेनन सुरक...

गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

रोशन वही है शमा ...लड़ती है जो तूफ़ान से


सम्पूर्ण भारतीय दल को लन्दन ओलम्पिक हेतु हार्दिक  शुभकामनायें !







जीतेगा वही जो खेलेगा जी जान से ;
रोशन वही है शमा ...लड़ती है जो तूफ़ान से 
जीतेगा वही जो खेलेगा जी जान से .




मुश्किल किसे हैं कहते वो जानता ही नहीं ;
मजिल पाए बिना जो मानता ही नहीं ;
दुनिया में जीत का परचम फहराता है शान से .
जीतेगा वही ..........
[LIKE THIS PAGE AND WISH INDIAN HOCKEY TEAM FOR LONDON OLYMPIC 

मिशन लन्दन ओलंपिक हॉकी गोल्ड





                                   जय हिंद !जय भारत !
                                       शिखा कौशिक 

शनिवार, 21 अप्रैल 2012

अंदाज ए मेरा: अगवा हुआ ‘सरकार का चेहरा’

अंदाज ए मेरा: अगवा हुआ ‘सरकार का चेहरा’: अपह़त कलेक्‍टर मेनन  छत्तीसगढ़ में अब यही देखना बाकी था। प्रदेश के मुखिया गांव-गांव घूमकर विकास का ढोल पीट रहे हैं। गांव,  गरीब, किसान की...

बुधवार, 18 अप्रैल 2012

''मधुमोती ''-A NEW BLOG

''मधुमोती '' -यह ब्लॉग है संजय जी का .बहुत अच्छी व् सामयिक रचनाएँ प्रस्तुत  करते हैं संजय जी .आप भी इनके  ब्लॉग पर जाये और इनकी रचनाओं का आनंद  लें  .

मेरा फोटो




Madhumoti is a platform where I wish to share my writtings in Hindi,English and Urdu with everybody who is a follower of the path of Thruth,Philosophy and Literature.I would not only like to convey my messages of real enjoyment of life to the world,I would like to interact with the persons like me through this blog as well.Madhumoti is an epic written by me in simple Hindi language focusing on the great philosophy of glorious birth,charming life,splendid death and mysterious rebirth.

                                                                आपका दिवस  शुभ व् मंगलमय हो !
                                               शिखा कौशिक 

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

अंदाज ए मेरा: ये हैं 'राष्‍ट्रपिता' .........

अंदाज ए मेरा: ये हैं 'राष्‍ट्रपिता' .........: उत्‍तर प्रदेश की दस साल की ऐश्‍वर्या पराशर ने भारत सरकार के लिए मुश्किल खडा कर दिया है। ऐश्‍वर्या ने पिछले 13 फरवरी को प्रधानमंत्री कार्य...

हॉकी -हमारा राष्ट्रीय खेल -आप भी जुड़े



                                  DO YOU WANT TO KNOW FIELD HOCKEY RULES ..YOU CAN VISIT THIS SITE FOR MORE INFORMATION -
[http://www.essortment.com/field-hockey-game-rules-58939.html ]


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मिशन लन्दन ओलंपिक हॉकी गोल्ड

कैप्शन जोड़ें




                                                                            SHIKHA KAUSHIK 

मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

अंदाज ए मेरा: घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो, यूँ कर लें......

अंदाज ए मेरा: घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो, यूँ कर लें......: दस  साल का अनिकत पुलिस की वरदी में आज बरबस ही निदा फाजली साहब के गजल की चंद पंक्तियां जेहन में आ गईं। पंक्तियां थीं,  ‘’घर से मस्जिद है...

सोमवार, 2 अप्रैल 2012

ज़रूरत- a new blog

ये  हैं      जी    -My Photo
इनके   ब्लॉग  का  नाम  है  -

ज़रूरत

ब्लॉग पर  प्रस्तुत ताजा पोस्ट है -

किनारा


सूर्य की प्रचण्डता से
समुद्र का जल होता है वाष्पित 
बनते हैं मेघ
जो आते हैं अक्सर समय पर
और कभी-कभी आगंतुकों से
बनाते हैं सेतु जल कणों के लिए
वहीं आने के लिए 
जहां से वे उठे थे


मेरी राय में -  सभी पोस्ट उत्तम   यहाँ    
                     आप   देखकर   आयें   
                  कैसा   रहा   अनुभव  वहां   
                     हमको   भी    बतलाएं   !


                                        शिखा कौशिक 

गुरुवार, 29 मार्च 2012

BRIJENDRA SINGH'S BLOGS

  BLOG'S NAME -मृगतृष्णा



BLOG'S OWNER NAME- Brijendra Singh... (बिरजू, برجو)


मेरा फोटो
                         
लिंगपुरुष
स्थानAgra / Mumbai., UP / Maharashtra., भारत
रुचिMusic, Theater, writing, cricket....etc
पसंदीदा मूवी्सInvictus, Remember the Titans, All Movies of Hrishikesh Mukharjii, Catch me if u can,Cast Away, Into the Wild, Forest Gump, Oldboy, Andaz Apna Apna..and many more.
पसंदीदा संगीतIndian folk
पसंदीदा पुस्तकेंIt changes rapidly. Till now.. "TRAIN TO PAKISTAN" by Khushwant Singh.

                         RECENT POST -  मृगतृष्णा

रूहें कुछ सपनों की

खुरच के देखो
गुज़रे वक़्त को,
कुछ लाशें मिलेंगी सपनों की,
रूहें इनकी-
कुछ सवाल करती हैं,
जिनका कोई जवाब नहीं
बस
एक मायूस दिल है..
ये रूहें मरे सपनों की
सताती रहेंगी,
जब तलक
मेरी रूह भी
इनमें मिल नहीं जाती..


RECENT POST- A Poet's Fantasy-


Again, it is the day, 
the time
it is the moment,
Again, feeling your fragrance
and your influence,
in the room..
like always
have saved some tears
from all the sorrows 
and all the happiness of the year..
have to clean the dust
on the portrait of your memories,
in this moment,
again...



MY VIEW- EVERY POST ON HIS BLOG TOO GOOD .YOU SHOULD VISIT HIS BLOGS .
                                                         HAVE A NICE DAY
                                                              SHIKHA KAUSHIK







        

मंगलवार, 27 मार्च 2012

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!



      मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!

      कहते हैं एक राजा हुआ,और एक बार उसके दरबार में तीन ऐसे चोर एक साथ लाये गए,जिन्होंने एक ही तरह की चोरी की थी,मगर राजा ने तीनो को ऊपर से नीचे देखते हुए तीन प्रकार के दंड दिए तब उसके एक मंत्री ने इसका कारण पूछा तो राजा के कहे-अनुसार उन तीनों सजा पाए हुए चोरों का पीछा किया गया और तब यह पाया गया कि जिसे सबसे कम सजा मिली थी उसने रात ही आत्महत्या कर ली,दूसरा,जिसे थोड़ी ज्यादा सजा मिली,उसने खुद को एकांत में कैद कर लिया था मगर सबसे ज्यादा सजा जिसे मिली थी वह अब भी लोगों के बीच बोल-हंस-बतिया रहा था !!इस प्रकरण से लोगों को अपने प्रश्नों का उत्तर और राजा के न्याय की तर्कसंगतता का प्रमाण भी मिल गया !!
       मगर उपरोक्त उदाहरण के परिप्रेक्ष्य में आज के दौर को परखें तो हम पाते हैं कि हर कोई वह तीसरा चोर बनने को ही आतुर-आकुल-व्याकुल है और उसे इस बात की तनिक भी परवाह नहीं कि समाज तो समाज,कोई भी बन्दा उसके बारे में क्या सोचता-समझता और कहता है !!अपनी अंतहीन वासना में रत हर कोई गोया एक-दुसरे पर चिल्ला रहा है मगर उसे अपना गिरेबान नज़र नहीं आ रहा है ,इधर सारे पत्र-पत्रिकाएं अपने सम्पादकीय और अन्य स्तंभ काले-पर-काले किये जा रहे हैं,बरसों-बरस से तरह-तरह के हज़ारों-हज़ार घोटालों-गबन और तमाम तरह की मक्कारियों-बेईमानियों पर चौक-चौराहों-गली-नुक्कड़-कैंटीन-दफ्तर-घर-बाहर-फुटपाथ-सेमीनार-गोष्ठियों से लेकर संसद-विधानसभा तक में चर्चा पर चर्चा और निंदा पर निंदा हुई जा रही है मगर परिणाम...??टायं-टायं-फीस !!
        ये तीसरी तरह का चोर आज हर कहीं काबिज है और कोई कितना भी हल्ला करे या शोर मचाये या अनशन करे या आंदोलन मगर कहीं कुछ होने की संभावना ही नहीं...क्यूंकि चोर ही जब शोर मचाने लगते हैं तब सच-और झूठ फ्रेम से गायब हो जाते हैं और सब एक-दुसरे को पकड़ने-कूतने-धकियाने-लतियाने की कवायद और नौटंकी करने लगते हैं और इस नौटंकी का कभी कोई परिणाम नहीं निकलने को जब जब लीडर का चरित्र राष्ट्रीय तो क्या बचा...निजी चरित्र भी खत्म हो चुका है !!  

मंगलवार, 20 मार्च 2012


BLOG's NAME-        आरोही


BLOG OWNER- DR.RADHIKA B. SHE IS A PERFORMING ARTIST .

BLOG'S URL-http://aarohijivantarang.blogspot.in


I LIKE THIS POST ON HER BLOG -जीने की वजह .........


वैरी गुड morning .....

कभी कभी सुबह की पहली किरण हमारे घर के दरवाजे की घंटी बजाकर हमारे हाथ में कुछ तोहफे दे जाती हैं ...
सुंदर ..सलोने चमकदार कागज़ के एक लिफाफे में बंद होती हैं हमारी जिंदगी की सबसे बड़ी चाहत ...हमारी खुशियाँ ..
लिफाफा खोलते ही स्वर्णिम किरणों सी हमारी हथेलियों में समां जाती हैं और कहती हैं ..जिंदगी बड़ी खुबसूरत हैं ...बड़ी अनोखी ..

 

                                                             PLEASE VISIT .HAVE A NICE DAY .
                                                                           SHIKHA KAUSHIK 


शनिवार, 17 मार्च 2012

BLOG'S LINKS

TODAY I HAVE COME WITH LOT OF BLOG'S LINKS .VISIT THESE BLOGS AND ENJOY -
मनसा वाचा कर्मणा 


!! लाल और बवाल --- जुगलबन्दी !!




                                           
                                     HAVE A VERY NICE DAY 
                                               SHIKHA KAUSHIK