जान बची तो लाख उपाया, लौट कलेक्टर घर को आये | अहमद किशन बड़े अहमक थे, बिन मतलब के जान गँवाए | इलेक्स रिलेक्सिंग बंगले में अब, नक्सल बैठे घात लगाए - किसको फुरसत है साहब जी, मौत पे उनके अश्रु बहाए ||
बेमतलब है नीति नियम सब, नीयत में ही खोट दिखाए | एक तरफ है ढोल नगाड़े, दूजी तरफ मर्सिया गाये | अहमद किशन शहीद हुए पर, सरकार पुन: छलनी कर जाए | उनके दो परिवार दुखी हैं, इन गदहों को कौन बताये ||
2 टिप्पणियां:
जान बची तो लाख उपाया, लौट कलेक्टर घर को आये |
अहमद किशन बड़े अहमक थे, बिन मतलब के जान गँवाए |
इलेक्स रिलेक्सिंग बंगले में अब, नक्सल बैठे घात लगाए -
किसको फुरसत है साहब जी, मौत पे उनके अश्रु बहाए ||
बेमतलब है नीति नियम सब, नीयत में ही खोट दिखाए |
एक तरफ है ढोल नगाड़े, दूजी तरफ मर्सिया गाये |
अहमद किशन शहीद हुए पर, सरकार पुन: छलनी कर जाए |
उनके दो परिवार दुखी हैं, इन गदहों को कौन बताये ||
SARTHAK PRASHN UTHHAYA HAI AAPNE .SHAHEEDON KE PRATI DO SHABD TO ALEX KO BOLNE HI CHAHIYEN THE .
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