रविवार, 31 जुलाई 2011

जरा बचके ये ''एम्.सिंह की दुनाली''

इस बार तो आप सभी को बुलेट प्रूफ पहन कर हमारे इस ब्लॉग की प्रस्तुति को देखना होगा कारण वही गोलियां चलने का लगातार खतरा बना  है   और चलिए हम तो बच जायेंगे क्योंकि हम तो उनके पीछे खड़े होकर  आपको ये सब बता रहे हैं किन्तु सामने खड़े होने के कारण आपको ज्यादा ख़तरा है चलिए वैसे लगता है कि इस वक़्त उनकी दुनाली में गोलियां नहीं हैं वे तो कल ही खाली होगई थी इसलिए तो रुके हुए थे हम कि पहले वे गोलियां ख़त्म हो जाएँ तभी हम  उनके बारे में कुछ कहें .अब ये देखिये उनकी दुनाली के सामने हमारे साथ हमारे शिष्य साधू संत स्वभाव के ''राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ जी'' भी साथ में थे किन्तु एम्.सिंह जी को दुनाली में गोली भरते देख ऐसे साफ हो गए कि पिछले दो हफ्ते   से उनका कोई अता पता ही नहीं  अगर आपमें से किसी को वो कहीं मिलें तो कृपया उन्हें यहाँ पहुंचा दें नहीं तो इतने दिन बाद तो पुलिस भी गुमशुदा में रिपोर्ट दर्ज करने में काफी दिक्कत दिखाएगी .
     चलिए अब उनकी चिंता को छोड़कर एम् सिंह जी के ब्लॉग दुनाली पर बेखटके चलते हैं .ब्लॉग url  है-

आज आप उनकी दुनाली कि एक गोली ही देखिये काफी जबरदस्त असर करने वाली है.
इस बार हदों की भी हदें लांघी हैं न्‍यूज़ 24 ने. पता नहीं चैनल कौन चला रहा है और उसका मकसद क्‍या है, पर एक बात तय है कि जो भी इसके मालिक या एडिटर होंगे, उन्‍हें न्‍यूज़ की कोई समझ नहीं होगी.
शनिवार शाम सात बजे के बुलिटेन में धोनी का छुपा हथियार का हैडिंग चल रहा था. समझा शायद कुछ खास दिखा रहे होंगे. काफी देर बकवास करने के बाद युवराज सिंह को छींकते हुआ दिखाया गया.
स्‍क्रीन पर लिखा था- छुपा हथियार बनाएगा धोनी को ट्रेंटब्रिज का सिंघम.
वाइस ओवर था-
युवराज जैसे-जैसे छींके, विकेट गिरते रहे.
अंग्रेजों के विकेट गिराने का कारनामा तेज गेंदबाजों की तिकड़ी ने नहीं किया, यह कारनामा किया युवराज की छींकों ने.
जब भी युवराज छींकते, विकेट गिरता...
तीनों गेंदबाज कुछ नहीं कर पाए, युवराज ने विकेट गिराए.
जी हां, यही था धोनी का छुपा हथियार.
और भी न जाने क्‍या-क्‍या कहा.
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हम तो यही चाहेंगे कि युवराज छींकते रहें और इं‍ग्‍लैंड के विकेट गिरते रहें.

आखिर क्‍या साबित करना चाहते हैं ऐसे न्‍यूज़ चैनल्‍सइनका क्‍या स्‍तर है?
और  अब  जानिए  इनके  बारे  में-


मेरे बारे में


पढ़ाई में जीरो तो नहीं पर जीरो से ज्यादा भी न था. मैथ्स और साइंस तो कभी पल्ले नहीं पड़े. इतिहास में कभी अच्छे नंबर नहीं आए. भूगोल भी समझ के परे था. अंग्रेजी में पास होने लायक नंबर मिल जाते थे, हिन्दी भी ठीक-ठाक थी. गणित के सवालों पर ही मेरा दिमाग सवाल उठाता था. आखिर ये वर्गमूल और स्केयर आदि आम जिंदगी में कहां काम आएंगे? माता-पिता, पड़ोसी या दुकानदार कभी मैथ्स के सूत्रों का इस्तेमाल नहीं करते तो मैं क्यों सीखूं?
क्रिकेट और शतरंज में दिमाग खूब चलता था. कॉलेज में पहुंचा तो अर्थशास्त्र, राजनीतिक विज्ञान और कम्यूटर में रुचि हुई. कम्यूटर अच्छे से समझ में आता था. बीए के बाद मास कम्यूनिकेशन्स की पढ़ाई की. संचार की ताकत और तरीकों को जाना. इस दौरान जिंदगी के कुछ बहुत खूबसूरत तो कुछ बेहद निराश करने वाले लम्हों को जीया. काफी कुछ सिखाया यूनिवर्सिटी के दो सालों ने. पर उससे कहीं ज्यादा सीखना अभी बाकी है.
पढ़ाई खत्म की तो प्रिंट मीडिया में नौकरी शुरू की. पंजाब केसरी, दैनिक भास्कर और फिर हिन्दुस्तान में काम किया. पत्रकारिता के साथ-साथ राजनीति से भी वास्ता पड़ा. साढ़े 4 साल प्रिंट मीडिया में रहा. अब खुदा को कुछ और ही मंजूर था. हालात ऐसे बने कि हिन्दुस्तान में मेरे ढ़ाई साल के करिअर का अंत हुआ. जीवन में एक बड़ा परिवर्तन आया. एक गांठ बांधी कि जीवन में कभी भी किसी भी हालात में नशा नहीं करना है. नशा तो पहले भी नहीं करता था, लेकिन कभी-कभार महफिल में बैठ जाता था.
शायद भगवान कुछ और समय नौकरी करवाना चाहता था, इसलिए वेब मीडिया में चांस मिल गया. आजकल दिल्ली की भीड़ बढ़ा रहा हूं और मोबाइल वैस व वेब मीडिया में काम कर रहा हूं. अब आगे क्या होगा? राम जाने.
और हां, भला ब्लॉगिंग का जिक्र कैसे भूल सकता हूं. लिखने का चस्का काफी पहले से था. खुद को अकेले पाना और फिर अकेलेपन को दूर करने के लिए लिखना. कुछ कहना चाहें और कह ना पाएं तो उसे लिख देना. किसी को गाली न दे सकना और लिख देना. किसी गलती पर प्रायश्चित करने के लिए कागज पर लिख देना. बस. हमारे आस-पास बहुत-सी चीजें हमें कहने या लिखने को मजबूर करती हैं. कुछ लोग कहना पसंद करते हैं तो कुछ लोग लिखना. और कुछ लोग दोनों ही पसंद करते हैं. मैं लिखने में ज्यादा विश्वास करता हूं. इसलिए ब्लॉग पर हूं.

-मलखान  सिंह
अब देखिये और जानिए इनके बारे में और इनके ब्लॉग दुनाली के बारे में.हम भी बेकार ही डर रहे थे अच्छा हुआ जो ' 'मेरे  बारे में ''पढ़ लिया आप भी अब डरना छोडिये और दुनाली पर बेखटके जाइये.और जरा सहायता कीजिये राजीव जी को ढूँढने में भी वे तो अभी तक दुनाली से डर कहीं छिपे बैठे हैं.
                                         
  शालिनी कौशिक


शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

सच्चाई को निर्भीकता से सामने लाता है 'हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेश्नल'

बरसों पहले जब दुनिया बाबा की दीवानी थी। तब भी हमने लोगों को बताया था कि योग के नाम पर बिज़नैस किया जा रहा है। पश्चिम में योग की मूल आत्मा वैराग्य को ग्रहण नहीं किया जा रहा है बल्कि वहां की औरतें अपने को   आकर्षक बनाने के लिए बाबाओं से योग सीखती हैं और इसी मक़सद से वहां के पुरूष भी योग सीख रहे हैं। तनाव से मुक्ति के लिए भी वे योग को एक एक्सरसाइज़ के तौर पर ही लेते हैं। लेकिन हमारे कहने पर तब उचित ध्यान ही नहीं दिया गया बल्कि हमें कह दिया गया कि आप तो हैं ही देश के ग़द्दार ।
जिन्हें राष्ट्रवादियों का अग्रदूत माना जा रहा था, उनका कच्चा चिठ्ठा आज सबके सामने है तो समझा जा सकता है कि जो लोग इनके साथ थे या इनके पीछे थे, उनके कर्म कैसे होंगे ?
आज बाबा और उनका राज़दार बालकृष्ण दोनों ही चिंतातुर नज़र आते हैं। वे तनाव दूर करने के लिए ख़ुद योग का सहारा क्यों नहीं लेते ?
गद्दी पर क़ब्ज़े के लिए गुरू जी को ऊर्ध्वगमन  करा देने वाले शिष्य कुछ भी कर सकते हैं। अपने ही जैसे राजनीतिज्ञों से अगर वह भी दूसरे बाबाओं की तरह सैटिंग कर लेते तो आज उनके आभामंडल पर यूं आंच न आती। जो अफ़सर कल तक पांव छूते थे वे आज गला पकड़ रहे हैं।
ये बाबा तो लोक व्यवहार की नीति तक से अन्जान निकले।
आदरणीय श्री महेंद्र श्रीवास्तव जी का लेख इन सभी बातों को बेहतरीन अंदाज़ में बयान करता है और यह तारीफ़ दिल से निकल रही है।
इस मंच को एक बेहतरीन लेख देने के लिए आपका शुक्रिया !
उनके लेख का लिंक नीचे दिया जा रहा है

अविनाश वाचस्पति जी का लेख भी इसी विषय पर एक करारा व्यंग्य है। उसका लिंक यह है

इतनी अच्छी पोस्ट्स जिस ब्लॉग पर हों तो क्या वह अच्छा न लगेगा भला ? 
'ब्लॉगर्स मीट वीकली' के ज़रिये ब्लॉग पर मीत आयोजित करने वाला पहला ब्लॉग भी यही  है .

गुरुवार, 28 जुलाई 2011

आइये कशिश की ओर चलें

इस बार सबसे पहले आप ब्लॉग का url  ही नोट कीजिये :-

अब  कुछ इनके शब्दों में इनके बारे में -

मेरे बारे में[Image1360.jpg]

मैँ नाचीज अपने बारे में क्या कहूँ ? अभी तक खुद से ही अन्जान हूँ,अनछुआ हूँ लेखकों की तरह लिखना मुझे आता नहीं,बस जब भी हृदय के दर्पण में भावनायें झाँकती है तो टूटे फूटे शब्दों को कलम के धागे में पिरोकर उनका श्रृंगार करने की कोशिश करता हूँ। यह ब्लॉग,ब्लॉग नही,मेरी किताब ए जीस्त है,और यहाँ लिखा हर एक शब्द मेरे दिल ए ज़ज्बात से निकली वो खूबसूरत आबाजें हैं जिन्होंने कुछ नायाब लम्हों में जन्म लेकर कई बार अपने वजूद को तलाशने की कोशिश की है.... सफर अभी जारी है और कशिश भी.....
और सिर्फ ये ही नहीं कि कुमार जी के जज्बात केवल उनके प्रोफाइल तक ही सीमित हों उनके जज्बात शब्दों में बहुत खूबसूरती से उतरते हैं और ये आप उनके ब्लॉग कशिश पर जाकर देख सकते हैं .तो देखिये और परखिये हमारी खोज को.कि क्या हम सही हैं ?
                         शालिनी कौशिक

बुधवार, 27 जुलाई 2011

''ज्ञान-विज्ञानं ''

ब्लॉग का नाम- ''ज्ञान-विज्ञानं ''

ब्लॉग का URL -''http://gyanvigyan100.blogspot.कॉम/

ब्लॉग स्वामी का परिचय -

Dr.J.P.Tiwari

मेरे बारे में

M.A. (Hindi, Philosophy) Ph.D. (Philosophy) Former Senior Research Fellow, Ministry of Tourism & Culture, Govt. of India. Believe in Simplicity, Morality and Faith in Indology. "परिचय क्या पूछते हो? दो कदम साथ चलकर के देखो जरा, मान जाओगे खुद,जान जाओगे खुद, एक चिन्तक हूँ मै,काम चिंतन मेरा... चिन्तक कभी सोता नहीं, उसकी चिति स्वयं संवेदी होती है, चिंतन प्रक्रिया स्वप्न में भी विमर्श करती है. पथ चलते चलते अपना उत्कर्ष करती है. मौन में भी यह चिंतन धारा सतत प्रदीप्त है,"

ब्लॉग की ताज़ा पोस्ट -'' मानव की नयी सभ्यता ?

मेरी राय -गहन भावाभिव्यक्ति से युक्त व् ज्ञान के नवीन  चक्षु खोलता यह   ब्लॉग सभी के लिए  पठनीय है .

             आप भी अपनी राय दें पर पहले इस ब्लॉग को एक बार देख तो लें .
                                        शिखा कौशिक

सोमवार, 25 जुलाई 2011

आइये आज कुछ ''काव्य कल्पना'' हो जाये

   असलम कौल ''असली'' ने कहा है-
 '' कभी इश्क करो और फिर देखो ,
  इस आग में जलते रहने से,
   कभी दिल पर आंच नहीं आती,
   कभी रंग ख़राब नहीं होता .'' 
          प्रेम न सिर्फ कलाकारों को ,लेखकों को और दार्शनिकों को प्रेरित करता है बल्कि आज के ब्लॉग जगत के मशहूर इंजीनियर  साहब सत्यम शिवम् जी को भी इसी भाव ने इतना प्रेरित किया है की उनके ब्लॉग पर इस भाव से भरी बहुत सुन्दर प्रस्तुति हमें आये दिन अवलोकन हेतु मिलती ही रहती है .सत्यम जी का ब्लॉग काव्य कल्पना न केवल प्रेम भाव से पूरित कवितायेँ प्रस्तुत करता   है बल्कि सत्यम जी ने इस ब्लॉग में अपने भावों को अभिव्यक्त करने के लिए इतने सुन्दर और भावपूरित चित्रों को जगह दी है कि हर पोस्ट संग्रहणीय हो गयी है .चलिए आप को अब इनके ब्लॉग का url  भी दे ही देते हैं -
 सत्यम  जी के ब्लॉग तो यूँ और भी हैं और आज वे किसी परिचय के मोहताज भी नहीं हैं ब्लॉग जगत में .उनके ब्लॉग पर फ़िलहाल जो प्रस्तुति है वह 4-५ दिन पहले की है आप अभी उसी का अवलोकन कीजिये और बताइए कि क्या हम  सही नहीं कह रहे हैं-

कसक है आज भी दिल में दबी,
उस रात की कोई।
तुम्हारे पास होकर भी, 
मै तुमको छू न पाया था।

मेरा दिल चाहता था खुद में यूँ भर लूँ मै तुमको आज,
मगर अफसोस मैने हर पल तुमको गवाँया था।

नशा वह रात में था,
या तुम्हारी बात में था,
जो मुझको खींच कर बेसुध बना,
तेरे पास लाया था।

कसक है आज भी दिल में दबी,
उस रात की कोई।

तुम्हारे पास होकर भी मै तुमको छू न पाया था।

बहुत अरमान थे जिनको था पाला,
लम्बे अरसे से,
वही कुछ बोल मेरी आँखों से,
उस रात बरसे थे।

कभी सोचूँ जो तुमको पाने का,
यह ख्वाब है या सच।

नहीं थी तुम कही भी,
बस अंधेरे में मेरा ही साया था।
कसक है आज भी दिल में दबी,
उस रात की कोई।

तुम्हारे पास होकर भी मै तुमको छू न पाया था।

अभी तो रात की सारी कहानी,
पूरी बाकी है।

फलक पर चाँद भी शायद,
अभी अभी ही आया है।

मोहब्बत की कहानी चाँद की थोड़ी पुरानी है,
यही सोचकर मैने नया किस्सा बनाया है।

अधूरा है तेरे बिन,
मेरा होना या ना होना।

तुम्हारे ना होने के एहसास ने,
फिर क्यों मुझको रुलाया था।

कसक है आज भी दिल में दबी,
उस रात की कोई।

तुम्हारे पास होकर भी मै तुमको छू न पाया था।

कहूँगा तो हँस दोगी,
कहोगी झूठे हो।

मगर हर रात यूँ ही जाग कर,
मै भोर करता था।
तुम्हारी यादों से लड़ कर जो,
मेरी हालत होती थी,
तन जिंदा होता था,
बेचारा मन बस मरता था।

सुनोगी तुम नहीं जिस गीत को,
मै जानता था पर।

वही इक गीत मैने हर रात,
क्यों तुमको सुनाया था।

कसक है आज भी दिल में दबी,
उस रात की कोई।

तुम्हारे पास होकर भी मै तुमको छू न पाया था।
तो अब आप सभी देखिये सत्यम जी का ब्लॉग और प्रेम के उनके भावों में ही खो जाइये


शालिनी कौशिक

रविवार, 24 जुलाई 2011

ब्लॉग के आकाश में दिवाकर --विमर्श

ब्लॉग का नाम -विमर्श
ब्लॉग का URL -''http://avaneesh99.blogspot.com/
ब्लॉग स्वामी   - श्री  अवनीश सिंह  
ब्लॉग की चर्चित पोस्ट-''राम लीला मैदान की तस्वीरें ''-

मेरी राय -यह ब्लॉग के आकाश में दिवाकर की भांति चमकेगा व् अपनी किरणों से समस्त ब्लॉग जगत को भी प्रकाशित करेगा .
                     आप ऊपर दिए URL  पर जाकर स्वयं परखें  व् अपनी राय दें .
                                शिखा कौशिक

शनिवार, 23 जुलाई 2011

हिंदी ब्लॉग टिप्स एक अच्छा ब्लॉग है Nice Blog

एक अच्छा ब्लॉग है।
इसकी ख़बियां इतनी हैं कि उन्हें बताने के लिए केवल शब्द काफ़ी नहीं हैं बल्कि आपको ख़ुद इस साइट पर जाकर देखना चाहिए।
उनकी एक पुरानी पोस्ट का लिंक हम यहां दे रहे हैं जिसके ज़रिये आप अपने ब्लॉग में हिंदी टाइपिंग टूल चस्पां कर सकते हैं। नई पोस्ट देखना आपकी ज़िम्मेदारी है और लौटकर बताना कि वहां से आपने क्या फ़ायदा उठाया ?

शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

श्री रतन सिंह शेखावत जी का डबल रोल

आज मैं आपके लिये एक ही नाम के दो व्यक्ति मगर दो अलग बेवसाइट और ब्लाग का परिचय लेकर आया हूँ । 
इनका नाम श्री रतन सिंह शेखावत जी है ।
तो ये है । हमारे प्रथम श्री रतन सिंह शेखावत जी का परिचय -
ग्यान दर्पण बेवसाइट के मालिक श्री रतन सिंह शेखावत जी की साइट पर विभिन्न विषयों पर बहुत सी जानकारियाँ मिलती हैं । यह बेवसाइट वाकई अपने नाम ग्यान दर्पण को सार्थक करती प्रतीत होती है ।
रतन सिंह शेखावत जी अपने परिचय में लिखते हैं - मैं राजस्थान के सीकर जिले में भगतपुरा गांव का रहने वाला हूँ । फ़िलहाल ओखला नई दिल्ली स्थित एक परिधान निर्यात इकाई में कार्यरत हूँ
- इनकी यह पोस्ट मुझे पर्यावरण और फ़ैलते प्रदूषण के मद्देनजर बेहद उपयोगी लगी अतः NICE BLOG के पाठकों के लिये साभार शेखावत जी की साइट से -
सड़क पर चलते अक्सर स्कूटर का इंजन लगे साईकल रिक्शा दिखाई दे जाते हैं । ऐसे जुगाड़ का इस्तेमाल ज्यादातर शहरों के आसपास सब्जी उगाने वाले किसान सब्जी की ढुलाई के लिए या सामान ढ़ोने वाले रिक्शा चालक करते है । ( यहाँ क्लिक करें )


लेकिन अब सवारी ढ़ोने वाले रिक्शों में भी बैटरी का इस्तेमाल होने लगा है । 
एक बार बैटरी चार्ज करने के बाद ये साईकल रिक्शा 90 किमी. तक फासला तय कर लेते है । 
कम लगत के इन बैटरी चालित साईकल रिक्शों का छोटे शहरों में व कॉलोनियों में ऑटो रिक्शा के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर प्रदूषण से बचा जा सकता है । 
फरीदाबाद की ग्रीन फिल्ड कालोनी की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने अपनी कालोनी में रहने वाले परिवारों के लिए किफायती शुल्क पर ऐसे रिक्शों की सेवा की शुरुआत है ।
श्री शेखावत जी का ई मेल - shekhawatrs@ymail.com 


और ये इनकी बेवसाइट - ग्यान दर्पण



******
हमारे दूसरे श्री रतन सिंह शेखावत जी प्रिंट मीडिया में कार्यरत हैं ।  उनका परिचय निम्न है -
इंडियन मंच ब्लाग के ब्लागर श्री रतन सिंह शेखावत जी प्रिंट मीडिया से जुङे हुये हैं । 
और वर्तमान में भास्कर ग्रुप के बिजनेस भास्कर में कार्यरत हैं । 
श्री शेखावत जी का प्रोफ़ायल विवरण निम्न हैं । आप भी देखें - This is Ratan Singh Shekhawat from Rajasthan (Jaipur). 
I have done B.A. from Rajasthan University and post graduate from Delhi University. 
I have done P.G. dip. in Mass Communication from INDIAN INSTITUTE OF MASS COMMUNICATION and master in journalism and Mass. com. from GJU HISAR. 
I have worked in different media organizations like DAINIK BHASKAR, AMAR UJALA and RASTRIYA SAHARA. 


Currentely i am working in BUSINESS BHASKAR, a business daily of Bhaskar group. in journalism my 


feald of interest are indian politics, international politics and business. इनका ब्लाग - इंडियन मंच

बुधवार, 20 जुलाई 2011

कानपूर के आशीष अवस्थी जी का ब्लॉग


बार बार ये क्या हो रहा है मैं सोचती हूँ की आज मैं ये ब्लॉग अच्छा लगा पर किसी अच्छे ब्लॉग का लिंक दे पाऊंगी और जैसे ही मैं ये सोच आगे बढती हूँ की देखती हूँ की इस पर किसी और की प्रस्तुति आ चुकी होती है चलिए डॉ.अनवर जमाल जी की प्रस्तुति तो ब्लॉग व्यवस्थापक शिखा जी के अनुरोध पर ही आ पाई थी उनसे क्या पर राजीव कुलश्रेष्ठ जी की तो देखिये ये एक बार की बात नहीं बार बार की है जब जब मैं पोस्ट डालने  की सोचती हूँ तब तब वे शायद ध्यान लगा कर पता लगा लेते हैं और मेरे और ब्लॉग के बीच में आ खड़े होते हैं .चलिए कोई बात नहीं उनकी हर पोस्ट होती ही बहुत शानदार है .
दूसरी बात उनकी हर पोस्ट देख व् पढ़ कर मुझे अपने मोहल्ले की वह लड़की याद आ जाती है जो हाईस्कूल तक पास नहीं कर पाई और हर वक़्त अंग्रेजी के गुणगान करती और उसके घर में भी उसे अंग्रेजी में बहुत होशियार कहा जाता .आप सभी ने ये बात तो नोट की ही होगी की राजीव जी अपनी अंग्रेजी मैम की ही चापलूसी में हर वक़्त लगे रहते हैं और इसी कोशिश में लगे रहते हैं की किसी तरह वे भी अंग्रेजों के रंग में रंग जाएँ और हर कोई इन्हें दिलीप कुमार की फिल्म गोपी के गाने के अनुसार यही कहे-
''जेंटिल मेन-जेंटिल मेन -जेंटिल मेन -आये ये लन्दन से बनठन  के ''
जिस तरह भारत में अधिकांश लोगों के मन में अंग्रेज बनने की लगी है ऐसी ही कुछ हमारे राजीव कुलश्रेष्ठ जी के मन में लगी है

आप सब को ये तो पता ही है की मैं उनकी मैथ की मैम हूँ और ये आपको मैं बताती हूँ की वे मैथ में बिलकुल फिस्सडी हैं और उन्हें मैथ सिखाने को मैं कितना उनके पीछे भागी उनकी पिटाई भी की पर मजाल है की जो वे सुधर जाते और आज हल ये है की मैं खुद उन्हें सिखाने के चक्कर में आधा गणित तो भूल चुकी हूँ और शायद आधा और भूल जाऊंगी और अब तो शायद इस चक्कर में इतनी मुश्किल से जो नौकरी  मिली  थी वह भी चली जाएगी.
एक बात और मैंने कितनी बार कहा की राजीव आप अपनी राइटिंग सुधर लीजिये पर न उन्हें मेरी सुननी थी न सुनी और तो और मेरी अलमारी में रखी सारी रंगीन पेन्सिल भी उठाकर मुंबई के सागर में फैंक दी अरे सागर से मुझे याद आया की आज मैं जिस ब्लॉग का परिचय आपके लिए लायी  हूँ वह भी तो  ''सागर''ही है 
कानपूर के आशीष अवस्थी जी का ये ब्लॉग ब्लॉग जगत में अभी अभी अपना स्थान बना रहा है और इस पर इनकी प्रस्तुति भी हम सभी की प्रशंसा की हक़दार है .पहले आप इनके ब्लॉग का url नोट कर लीजिये-जो ये है-
आशीष जी अपने बारे में कहते हैं-

मेरा परिचय

My Photo
मूलतः मै हरदोई का रहने वाला हूँ । कानपुर मेरी कर्मस्थली है । लिखना मेरा शौक है ।
और अपने ब्लॉग पर इनकी प्रस्तुति देखिये-
तुम जियो उस प्यार मे जो
 मैने तुम्हे दिया है,
उस तन्हाई मेँ नही
 जिसे मैने खुद मे छिपा लिया है....!

तुम खुश रहो उस खुशी मेँ
 जो मैने तुम्हारे लिये चुनी है,
उस पीर मेँ नही
 जो मैने खुद मे समेट ली है....!

तुम बढो उस मंजिल की तरफ
 जिनकी राहे मैने तुम्हारे लिये बनाई है,
चुन लिया सब काँटो को फूलो से राहे सजायी है....!

तुम छुओ उस आकाश को
 जो मैने तुम्हारे लिए तारो से  सजाया है,
उस अँधेरे को नही जिसे मैने खुद मेँ छिपाया है....!

तुम्हे मंजिल तक पहुँचाने का
 एकमात्र उद्देश मेरा हो,
वहाँ का आकाश,
वहाँ की खुशी,
वहाँ का सवेरा सिर्फ तुम्हारा हो..!!

आप सभी को ये ब्लॉग कैसा लगा ये आप सागर जी को उनके ब्लॉग पर जाकर  अवश्य बताएं और मेरी आप सभी से ये भी प्रार्थना है की मेरे इतने intelligent  स्टुडेंट को सुधरने के लिए कहिये वो तो सागर जी मिल गए जो मेरी सारी पेन्सिल मुझे दे गए वर्ना आज तो यहाँ   लिखना   बहुत मुश्किल था

शालिनी कौशिक 
.

किशोर पारीख जी का ब्लॉग

आपको ज़रूर पसंद आएगा Maza




मैंने उनके ब्लॉग पर यह पढ़ा
1- बाजार में हमें पीटने को सारे बंदे चिपट गये
पत्नी ने काम वाली बाई को अपनी पुरानी साड़ी दी थी
और हम उसे अपनी पत्नी समझ के पीछे से लिपट गये


2- धरती पे तुम, आसमाँ में तुम, पूरे जहाँ में तुम,
फिज़ाओं में तुम, घटाओं में तुम, हवाओं में तुम,
ठीक ही कहा है किसी ने
बुरी आत्मा का कोई ठिकाना नही होता

 

3- एक लड़की से मैने रोने का कारण पूछा तो वो बोली
मेरे
पिता चाइनीज थे बेचारे भरी ज़वानी मे हम सबको छोड़ कर चले गये
बस
इसी बात का गम है मैने कहा चुप हो जा बच्ची
चाइना
का माल तो चलता ही कम है

आज मूड आफ़ सा था ब्लॉग जगत की घटना के कारण, सोचा कि दिल बहलाया जाए और इस ब्लॉग पर ऐसा ‘सौदा‘ काफ़ी है।
आप भी देखिए
http://udghoshak.blogspot.com/

मंगलवार, 19 जुलाई 2011

अंतर्राष्ट्रीय स्तर का स्कूल - M.S.M.P.School

हमारे स्कूल का नाम M.S.M.P.School है । इस नाम का मतलब नहीं समझे । समझोगे तो तब । जब कभी पढने में मन लगाया हो । खेलने कूदने से ही फ़ुरसत नहीं है । चलो मैं ही बताये देता हूँ । Made Super Mad Public School । अब तो समझ गये । मैडम शिखा P कौशिक जी इस स्कूल की प्रिंसीपल है । इस स्कूल की साख और प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है ।
बङे बङे लोगों के बच्चे जैसे बिल गेटस जी बिल क्लिंटन जी । ओबामा जी । जार्ज बुश । अमिताभ बच्चन आदि आदि भी अपने बच्चों को इसमें पढाने के लिये लालायित रहते हैं । अभिषेक बच्चन तो पाँच बार टेस्ट में फ़ेल हुये । और उनका एडमिशन ही नहीं हुआ । हालांकि अमित जी ने डोनेशन सिस्टम द्वारा एडमिशन कराने की कोशिश की । पर 


हमारी खङक एण्ड कङक प्रिंसीपल के सामने उनकी एक न चली ।
आपको याद होगा । क्लिंटन जी एक बार इंडिया आये । तो इस स्कूल की ख्याति से प्रभावित होकर यहाँ भी आये । और उन्होंने बच्चों से कुछ सवाल भी किये ।
क्लिंटन जी  - हाँ तो बच्चों । Cat मींस - ?
बच्चे - कुत्ता सर ।
क्लिंटन जी  - वेरी गुड । वेरी गुड । बहुत होशियार बच्चे हैं । और Rat माने - ?
बच्चे - हाथी सर जी ।
क्लिंटन जी - वेरी नाइस । वेरी नाइस । ( शिखा जी की तरफ़ देखकर ) काफ़ी मेहनत करती हैं । आप बच्चों पर । कैसे फ़टाफ़ट जबाब दे रहे हैं । लगता है । मुँह से सवाल निकलने से पहले ही जबाब जानते हैं ।.. हाँ तो प्यारे प्यारे बच्चों भारत की राजधानी कौन सी है ?
बच्चे - न्यूयार्क सर जी ।
क्लिंटन जी - अरे वाह ! बहुत अच्छे । बहुत अच्छे । शिखा जी आपके स्टूडेंटस का G.K और I.Q दोनों ही हायर लेवल हैं । मैं आपके स्कूल को आक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से अटैच करवाने की संस्तुति करूँगा ।


तो हमारे स्कूल के सभी बच्चे अमेरिका लंदन नासा इसरो पता नहीं कहाँ कहाँ बुलाये जाते हैं । तमाम VIP लोग इन बच्चों से प्रेरणा लेने का टी वी न्यूज वालों को इंटरव्यू देते हैं ।
आज सिडनी आस्ट्रेलिया में रह रहे श्री आशीष श्रीवास्तव जी के ऐसे ही विज्ञान आधारित ब्लाग  से परिचय कराते समय मुझे अपने स्कूल की याद आना स्वाभाविक ही थी
तो आप खुद ही जानिये । आशीष जी और उनके ब्लाग्स के वारे में -


अभी Sydney । NSW । Australia में रह रहे श्री आशीष श्रीवास्तव जी के सभी ब्लाग देखने लायक हैं । पढने लायक हैं । समझने लायक हैं । Technology इंडस्ट्री में कार्य्ररत श्री आशीष जी सुरक्षा सलाहकार पद पर कार्यरत हैं । इनके विज्ञान आधारित ब्लाग  तथा खगोल शास्त्र को समर्पित ब्लाग वाकई जानकारियों का भंडार हैं । पिछले 14 वर्षो से सूचना 


प्रौद्योगिकी में  कार्यरत श्री आशीष जी वैसे तो अधिकतर विज्ञान पर ही लेखन करते हैं । लेकिन - वेद । खालीपीली । और तस्वीरें ब्लाग भी आशीष जी की विशिष्ट सोच को सहज ही दर्शाते हैं । इसलिये इनके लीक से हटकर सभी ब्लाग छात्रों और इस तरह की जानकारियों में रुचि रखने वालों के लिये अनमोल ग्यान का स्रोत हैं । उसमें सौरमंडल के दुर्लभ तारों और आकाशगंगाओं धूमकेतु आदि की तस्वीरें सोने पर सुहागा का काम ही करती हैं । वास्तव में मुझे तो यही लगता है कि सभी को अपने बच्चों आदि को एक बार अवश्य ही आशीष जी के ब्लाग पढने को प्रेरित करना चाहिये । इनके विज्ञान पर आधारित ब्लाग - विज्ञान विश्व अंतरिक्ष । विग्यान कथायेंवेद खालीपीली तस्वीरें सौरमण्डल ।

सोमवार, 18 जुलाई 2011

मैं एक इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर हूँ - शिल्पा मेहता

 मैंने अपनी इंगलिश टीचर ..भूल गये क्या ? वही शिखा कौशिक जी से कहा - टीचर जी ! कम से कम इतनी इंगलिश तो सिखा ही दो कि - ब्लाग वर्ल्ड के ब्लाग्स पर इंगलिश में टिप्पणी कर लिया करूँ । ताकि मेरा भी कुछ रौब गालिब हो । क्यों मेरी इज्जत का " सूजी का हलुआ " बनाने पर तुली हो फ़ीस क्या मुफ़्त की देता हूँ । तब उन्होंने मुझे एक रेडीमेड टिप्पणी बता दी - very nice post
और आगे कहा - अगर अक्ल से काम लो । तो इसी से तीन टिप्पणी बन जाती हैं ।
मैं - व्हाय मैम ।
शिखा मैम - एक - very nice । दो - nice post । तीन - very nice post ।
और सुनो । आगे उन्होंने कहा - टीपणी का मतलब नहीं जानते बुद्धू कहीं के । टीपो और लगा दो । क्यों दिमाग को सोचकर हीट करते हो । यही तो अन्य भी करते हैं । टीपते हैं । और चिपका देते हैं । टीपना समझते हो ? या ये भी नहीं समझते । नकल मारना । मैं तो भैया यही करती हूँ । ( टिप्पणी देने में ) अब दिमाग का दही कौन करे ।
मैं - वाओ मैम ! इसीलिये तो मैंने अकलबन्दी ( शब्द पर ध्यान दें ) से आपको टयूटर बनाया हुआ है । दिमाग पर एक्सट्रा जोर भी नहीं । और पढाई भी पूरी । अम्मा जी का खिलाया देशी घी पूरा बचा कि नहीं ।


खैर माय वैरी जीनियस मैम ! इस 3 इन 1 टीपणी का मतलब भी तो बता दो । कभी कोई पूछ ही बैठा । और मैं नहीं बता पाया तो । तो नाक तो आपकी ही...खैर छोङिये ।
शिखा मैम ने कहा - ठीक है । very मतलब - थोङा । nice मीन - बेकार । post मतलब - पोस्ट...पोस्ट ..पोस्ट ( मैं समझ गया । अटक गयी गाङी । अब डिक्शनरी निकालेंगीं ) लेकिन मेरी बहुत होशियार मैम ने तुरन्त ( बिना डिक्शनरी यूज किये ) चुटकी बजाकर कहा - post मतलब - पोस्टमेन । इतना भी नहीं जानते ।
मैं - वाओ मैम ! क्या दिमाग दिया है ?? अल्लाह ने आपको । अब इस कमेंट को पूर्णरूपेण भी समझा दीजिये
शिखा मैम - very nice - थोङा बेकार । nice post - बेकार लिखा ।  very nice post - थोङा ही बेकार लिखा । कितनी इजी है ना । इंगलिश लैंग्वेज । पर तुम पढाई पर ध्यान दो तब ना ।
खैर..ये टिप्पणी पुराण तो चलता ही रहेगा । बहरहाल मैं इन्हीं एक बटा तीन टिप्पणियों से काम चला रहा हूँ । बल्कि चला रहा था कि - तभी मेरी निगाह " 


रेत के महल " ब्लाग पर गयी । खास बात ये थी कि ये भी 2 in 1 है । यानी एक इंगलिश में । दूसरा हिन्दी में । और उससे भी बङी बात थी कि ये भी शिल्पा मैम यानी एक टीचर जी का था । अतः मैं इनसे भी टयूशन पढने की बात करने चला गया ।
मगर इनके प्रोफ़ायल से मुझे बहुत हैरानी हुयी । एक बाडी में दो दो लोग कैसे ?
देखिये -मन से एक लेखक.. लेखिका हूँ
( बट.. मुझे ये पढकर अच्छा लगा कि - पढना । पढ़ाना और बातें करना बहुत अच्छा लगता है ।
सच मैं बातें करना मुझे भी अच्छा लगता है । मैं तो दिन भर ही फ़ालतू बातें करता रहता हूँ ।
( और भी देखिये - वैसे एक इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर हूँ ।
अब तो जरूर ही इनसे टयूशन पढूँगा । अरे घर की बिजली टीवी फ़ैन etc खराब होने पर शिल्पा मैम से मुफ़्त ही सही करा लूँगा । इसे कहते हैं । एक पंथ दो काज ।
और ये रहा - शिल्पा मैम का परिचय ।


hospet कर्नाटक । भारत की इंजीनियरिंग कॉलेज में पढाने वाली शिक्षिका सुश्री शिल्पा मेहता जी अभी ब्लाग जगत में नयी है । फ़िर भी उन्होंने अपनी अनोखे और अलग किस्म के लेखों से ब्लाग जगत में सबका ध्यान अपनी तरफ़ आकर्षित किया है । या कहिये । धूम मचा दी है । इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर होने के नाते उन्होंने आध्यात्म और साइंस का सुन्दर समन्वय भी किया है । मैं हमेशा कहता रहा । ब्लाग जगत में मुझे मनपसन्द ब्लाग ( मेरी अभिरुचि के ) ना के बराबर ही मिले । लेकिन शिल्पा जी का ब्लाग मुझे उम्मीद जगाता है । विचारोत्तेजक खोजपूर्ण सामग्री तर्क की कसौटी पर बातचीत सहज ही आकर्षित करती हैं । मुझे उनके अन्य लेखों का भी इंतजार है । आप भी जाकर देखिये । और आगे देखिये शिल्पा जी अपने बारे में क्या बता रही हैं - मैं तो मैं हूँ । आप बताएं पढ़ कर । वैसे एक इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर हूँ । इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाती हूँ । मन से एक लेखक.. लेखिका हूँ । पढना । पढ़ाना । और बातें करना बहुत अच्छा लगता है । ब्लॉग पर आपका स्वागत है - :)) इनके ब्लाग - रेत के महल । और ret ke mahal ( इंगलिश )
How do you pronounce the 'g' in bologna ? like the "k" and the "d" in knowledge..(:-)(;-))

शनिवार, 16 जुलाई 2011

मेरा दर्द

आज मैं जिस ब्लॉग का जिक्र यहाँ करने जा रही हूँ बहुत खूबसूरत भावों से भरा है ये ब्लॉग .सबसे पहले आपको ब्लॉग url दे रही हूँ ''http://vikasgarg23.blogspot.कॉम और ये है उनके अपने शब्दों में उनके ब्लॉग का परिचय-

मेरा दर्द

जागते हैं तन्हा रातो में, खोते है दिल उनकी बातो मे, मिली नहीं दिल की मंजिल आज तक, क्योकि दर्द ही दर्द लिखा है इन हाथो में!!! gargvikash23@gmail.कॉम
विकास जी के ब्लॉग पर उनकी सभी प्रस्तुति ह्रदय के उद्गारों को बहुत सुन्दर शब्दों में अभिव्यक्त करती हैं.आप आज की ही उनकी प्रस्तुति से मेरी बातों की सच्चाई का अंदाज़ा लगा सकते हैं-

एक लड़की मुझे सताती है

अंधेरी-सी रात में एक खिड़की डगमगाती है
सच बताऊँ यारों तो, एक लड़की मुझे सताती है।
भोली भाली सूरत उसकी मखमली-सी पलकें है
हल्की इस रोशनी में, मुझे देख शर्माती है
सच बताऊँ यारों तो इक लड़की मुझे सताती है
बिखरी-बिखरी ज़ुल्फ़ें उसकी शायद घटा बुलाती है,
उसके आँखों के काजल से बारिश भी हो जाती है
दूर खड़ी वो खिड़की पर मुझे देख मुसकुराती है।
सच बताऊँ यारों तो इक लड़की मुझे सताती है
उसकी पायल की छम-छम से एक मदहोशी-सी छा जाती है
ज्यों की आंख बंद करूँ मैं तो, सामने वो जाती है
सच बताऊँ यारों तो इक लड़की मुझे सताती है
ज्यों ही आँख खोलता हूँ मैं तो ख़्वाब वो बन जाती है
अंधेरी-सी रात में एक खिड़की डगमगाती है
रोज़ रात को इसी तरह इक लड़की मुझे सताती है

और ये है उनका संक्षिप्त परिचय -

हमारे बारे में

My Photo
Meerut, U P, India
विकास गर्ग [M.Sc.(C.S.), M.C.A.] मेरे दिल से निकले कुछ जज्बात जो शब्दों के रूप में आप लोगो के लिए लिख दिए है, आशा करता हू आप लोगो को पसंद आये!
आप सभी उनके ब्लॉग पर जाएँ और एक और शानदार अभिव्यक्ति से जुड़ें.
                    शालिनी कौशिक 

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शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

GOOD NEWS FOR CHILDREN -A NEWS PAPER ONLY FOR YOU

I have a good news for my little friends .i am giving you a link -''http://taabartoli.blogspot.com''.you must visit this site because on this site you ''ll find a news paper which is only for you .this is the first news paper for children in INDIA .lets see-

           shikha kaushik 

सोमवार, 11 जुलाई 2011

जनम दिन की बहुत बहुत शुभकामनायें.

ये ब्लॉग अच्छा लगा मैं शायद पहली बार ऐसा  हो रहा है कि एक साथ दो ब्लॉग का जिक्र मैं करने जा रही हूँ और वो भी केवल इसलिए क्योंकि ये दोनों ब्लॉग एक दुसरे से दोस्ती के बंधन में बहुत गहरे तक बंधे हैं और ये आज के वक़्त में बहुत मुश्किल से होता है कि दोस्ती इतनी शिद्दत से हो.सर्वप्रथम तो हम अपनी इस पोस्ट के माध्यम से सवाई सिंह जी को उनके जन्म दिन की बधाई एक शायर के शब्दों में यूँ देना चाहेंगे-
''तेरी जिंदगी की फिजा में ये दिन बार बार आये,
गुलशन भी परेशान हो इस कदर बहार आये.''
      सवाई सिंह जी का ब्लॉग आज का आगरा जिसका url ये है---
सवाई सिंह जी  न केवल ब्लॉग जगत में सभ्यता की मिसाल हैं वे अपने शहर आगरा में भी सम्मानित स्थान रखते हैं और इसका प्रमाण आगरा कोलेज में  सर्वश्रेष्ठ स्वयं सेवक का पुरस्कार लेते हुए ये उनका चित्र है-
image.pngआप ऊपर दिए गए लिंक पर जाकर उनके ब्लॉग से बहुत कुछ सीख सकते हैं.और अब बात करते हैं उनकी दोस्ती पर अपना सभी कुछ न्योछावर करने वाले सोनू जी के ब्लॉग'' एस एम् एस  हिंदी ''की इस बार तो उनका ब्लॉग पूरी तरह से दोस्ती के रंग में रंग है.आखिर हो भी क्यों न दोस्त का जन्मदिन हो और दोस्त न मनाये ऐसा तो हो ही नहीं सकता और वे पूरे जोश में हैं ये आप उनके ब्लॉग पर जाकर देख सकते हैं url है-

image.png
सोनू जी के बारे में फ़िलहाल हम इतनी जानकारी ही जुटा  पाए हैं-
image.png
अब आप सभी से अनुरोध है कि आप सभी सवाई सिंह जी और उनके दोस्त की खुशियों  में शामिल होइए . 
                                 सवाई सिंह जी को और उनके दोस्त सोनू जी को हम ये ब्लॉग अच्छा लगा परिवार की और से जनम दिन की बहुत बहुत शुभकामनायें.
                                 शालिनी कौशिक