'How to stop worring and start living ?' में डेल कारनेगी जी ने चिँता और तनाव से मुक्ति पाने के बहुत से तरीक़े बताए हैं । उनमें से एक तरीक़ा यह है कि आदमी जो भी कारोबार , नौकरी या आंदोलन कर रहा है । उसमें बुरे से भी बुरा जो कुछ संभव हो , अपने लिए उसकी कल्पना करे और अपने मन को उस नुक़्सान को सहने के लिए तैयार कर ले । यह आसान नहीं है लेकिन जैसे ही आदमी यह अभ्यास करता है वैसे ही वह डर से आगे निकल कर वहाँ पहुँच जाता है जहाँ जीत है ।
ब्लॉगिंग करने वालों का जीवन पहले से ही कई तरह के तनाव से भरा होता है । उससे मुक्ति पाने के लिए वे ब्लॉगिंग शुरू करते हैं लेकिन यहाँ सुख के साथ कम या ज्यादा कुछ न कुछ दुख और चिंता उन पर और सवार हो जाती है । नज़रिए का अंतर भी यहाँ आम बात है और बदतमीज़ी भी ।
'कौन बनेगा सर्वेसर्वा ?' की कोशिश में यहाँ गुट भी बने हुए हैं और गुट बनते ही गुटबाज़ी के लिए हैं । गुटबाज़ी से टकराव और टकराव से केवल तनाव पैदा होता है । जो बदमाश है वह यहाँ धमकियाँ देता है कि जान से मार दूँगा और जो क़ानून का जानकार है वह क़ानूनी लक्ष्मण रेखा खींचता रहता है कि कौन ब्लॉगर क्या कर सकता है और क्या नहीं ?
ग़ुंडा हो या वकील , काम दोनों डराने का ही करते हैं।
डराता कौन है ?
याद रखिए जो ख़ुद डरा हुआ होता है वही दूसरों को डराता है । अपना डर छिपाने और दूसरों को डराने की कोशिश तनाव को जन्म देती है । ऐसी कोशिशें छोटेपन का लक्षण होती हैं।
बड़ा ब्लॉगर निर्भय होता है। वह मानता है कि उसका परिवार , उसका रोज़गार और उसका जीवन जो कुछ भी उसके पास है वह उनमें से किसी भी चीज़ का मालिक नहीं है । इन सब चीजों का मालिक वास्तव में सच्चा मालिक है और वह स्वयं तो केवल एक अमानतदार है । वह इन चीजों को लेने में भी मजबूर है और इन्हें देने में भी ।
जो चीज़ उसे दी गई है वह उससे एक दिन ले ली जाएगी । मालिक
दुनिया में निमित्त और सबब के तौर पर चाहे किसी दुश्मन को ही इस्तेमाल क्यों न करे लेकिन होता वही है जो मालिक का हुक्म होता है ।
सत्य और असत्य के इस संघर्ष में सब कुछ ईश्वर की योजना के अनुसार ही होता है लेकिन आदमी अपने विवेक का ग़लत इस्तेमाल करके खुद को सच्चे मालिक और मानवता का मुजरिम बना लेता है ।
यह तत्व की बात है और जो तत्व को जानता है उसे कोई चीज़ कभी नहीं डराती।
याद रखिए , चीज़ें ,घटनाएं और आदमी आपको नहीं डरातीं बल्कि आपको डराता है उन्हें देखने का नज़रिया।
ज्ञान आता है तो डर ख़ुद ब ख़ुद चला जाता है और जैसे ही डर से मुक्ति मिलती है आदमी बड़ा ब्लॉगर बन जाता है ।
पूरी पोस्ट ही यहाँ इसीलिए ले आयी हूँ ताकि आप यही से कुछ टिप्स आजमा कर दे ख लें .वैसे वे अपने इस ब्लॉग का जिक्र यहाँ स्वयं भी कर सकते थे किन्तु जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अपने मुहं मियां मिट्ठू तो वे हैं नहीं .हालाँकि वे इस ब्लॉग के योगदानकर्ता हैं किन्तु ब्लॉग में किसी अन्य ब्लॉग की जानकारी देने का कोई योगदान वे कभी कभी ही करते हैं.
4 टिप्पणियां:
Anwar ji ke bare me aur kya kah sakte hai ki ve to bahut bade guru hain .unse bada bloggar banna to sambhav hi nahi hain .aabhar shalini ji itne rochak blog parichay hetu .
शालिनी की पोस्ट और शिखा जी की टिप्पणी
मतलब सोने पर सुहागा ।
आप दोनों विदुषी बालाओं की निर्मल विचार गंगा हमारे अंतःकरण को पवित्र और सुगंधित करती जा रही है ।
हम आपके शुक्रगुज़ार हैं ।
इस अवसर पर हम आपको विशेष आशीष देते हैं !
शालिनी की पोस्ट और शिखा जी की टिप्पणी
मतलब सोने पर सुहागा ।
आप दोनों विदुषी बालाओं की निर्मल विचार गंगा हमारे अंतःकरण को पवित्र और सुगंधित करती जा रही है ।
हम आपके शुक्रगुज़ार हैं ।
इस अवसर पर हम आपको विशेष आशीष देते हैं !
blog jagat ke mahaguru hai jmaal sahab
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