मंगलवार, 7 जून 2011

आओ सदा जी से मिलें

   आज सदा जी का ब्लॉग देखा ब्लॉग पर हर प्रस्तुति एक से बढ़कर एक है आज की प्रस्तुति कुछ यूं है-






किसी से प्‍यार करना,
फिर उसपर खुद से ज्‍यादा
ऐतबार करना
कैसे किसी के लिये
यूं बेकरार हो जाना
भरी महफि़ल में तन्‍हां हो जाना
कभी तसव्‍वुर... कभी इंतजार
कभी बेरूखी प्‍यार की
सब बातों से परे
हसरत बस एक दीदार की
शिकायतें हजार हों प्‍यार में
फिर भी जाने क्‍यों ..
औरों के मुंह से शिकायत सुनना



सदा जी के ब्लॉग की एक और खासियत ने मुझे इसे आज ये ब्लॉग अच्छा लगा के मंच पर प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया और वह था इसका टेम्पलेट .पिछली पोस्ट में राजीव जी ने गर्मी से परेशानी व्यक्त की थी और तभी मैंने तय कर किया था की उनके लिए एक ऐसा ब्लॉग ज़रूर खोजूंगी और सदा जी की प्रस्तुति ने और टेम्पलेट दोनों ने ही मेरी मुश्किल को आसान कर दिया .


सदा जी अपने बारे में लिखती है.मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....


ब्लॉग का url है-[http://sadalikhna.blogspot.कॉम
आप सभी इस ब्लॉग पर अवश्य जाएँ और देखें कि मैंने सही बताया  है या गलत.
                              शालिनी कौशिक 

5 टिप्‍पणियां:

Shikha Kaushik ने कहा…

ek ek shabd me sachchai hai .aabhar

रश्मि प्रभा... ने कहा…

nihsandeh

Patali-The-Village ने कहा…

निसंदेह आप की हर बात सच्ची है| धन्यवाद|

सदा ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
सदा ने कहा…

शालिनी जी, सदा को आपने यहां स्‍थान दिया ... जिसके लिये बहुत- बहुत आभार ।