शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

क्या धमाके करने वाले किसी भी कोख से जन्म नहीं लेते !!??

कुछ धमाके होते हैं और 
उन धमाकों के साथ 
कुछ जिंदगियां तमाम....
उन धमाकों में है सन्देश 
किसी तरह की कायरता का 
एक अमानुषिक बर्बरता का 
जिसे धमाके करने वाले 
कहते हैं अपनी ताकत 
जिससे करते हैं वो 
सत्ता के खिलाफ जंग
जिसे कहते हैं वो 
कि यह ज़ुल्म के खिलाफ
जो भी हो मगर उनकी इस 
ताकत या कायरता का शिकार 
बनते हैं कुछ मासूम लोग 
बच्चे-बूढ़े और स्त्रियाँ भी 
जहां होते हैं धमाके 
वहां बिखर जाता है खून
बिछ जाती हैं लाशें और 
तड़पते हैं जीवित शरीर
जिसे देखकर हो जाता है 
हर कोई कातर-निर्विकल्प 
शून्य और संज्ञा रहित.....
और मर्मान्तक तक कहीं 
अतल गहरे में रोते हैं हम....
जिसे कहते हैं हम मानवता 
हम सब किसी ना किसी 
कोख से जन्म लेते हैं.....
क्या धमाके करने वाले 
किसी भी कोख से जन्म नहीं लेते !!??   

2 टिप्‍पणियां:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

सच...क्या बात है...

Mirchi Namak ने कहा…

यकीनन धमाके करने वाले किसी न किसी कोख से ही जन्म लेते है पर उस मां का फर्ज है गल्ती से जब भी उसे लगे कि उसकी कोख से जन्म लेने वाला उसकी कोख के लिये गाली बन गया है ये उस मां को चाहिये कि अपने हाथ से उस कपूत का गला घोंट दे जो दूसरी मां की कोख सूनी कर्ने चला है........