बुधवार, 21 सितंबर 2011

जो तेरा है वो तेरा तो नहीं है....!!!




जो तेरा है वो तेरा तो नहीं है,
जो मेरा है वो मेरा तो नहीं है !
जो जितना अच्छा दिखता है 
देखो,वो उतना भला तो नहीं है!
ठीक है,वो चारागर होगा मगर 
बस इतने से वो खुदा तो नहीं है !
नजदीक से देखने से लगता है,
कहीं वो मुझसे जुदा तो नहीं है !
रह-रह कर कुछ टीसता-सा है ,
कहीं मुझको कुछ हुआ तो नहीं है !
कुछ जो भी यहाँ पर गहरा-सा है,
कभी हर्फों में वो बयाँ तो नहीं है !
हर जगह वो मुझसे छुपता है 
कहीं वो मेरा राजदां तो नहीं है !
हर पल बस तेरा नाम लेता हूँ,
ओ मेरे खुदा रे कहाँ तू नहीं है !
हर हद तक जाकर तुझको खोजा 
कहीं तू मेरे दरमियाँ तो नहीं है !
हर्फों का शोर ये समझ ना आये 
कहीं तू हर्फों में ही निहां तो नहीं है !!

2 टिप्‍पणियां:

रेखा ने कहा…

वाह ....बहुत खूब

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

shirshk hin hi shirsh hota hai aajkl bhtrin andaz ke liyen badhaai ......akhtar khan akela kota rajsthan