एक पहेली हैं ये ब्लोगर पर ब्लॉग बड़ा सरल आप भी सोचेंगे मैं यहाँ पहेली लेकर क्यों बैठ गयी पर परेशान मत होइए क्योंकि आप सब इन महाशय को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं किन्तु इनके जीवन दर्शन शायद अभी आप सभी की पहुँच से बाहर हैं.हम सभी सत्य की केवल बाते करते हैं किन्तु सम्पूर्ण सत्य की खोज हमारे बस का काम नहीं किन्तु राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ जी ये कार्य बहुत सादगी से कर रहे हैं और साथ ही ये हमारी तरह अपनी प्रसिद्धि के पीछे पागल भी नहीं हैं क्योंकि ये जो कुछ भी करते हैं अपने गुरु जी की छत्र -छाया में करते हैं इनका ब्लॉग सत्य की खोज हम सभी के लिए पथ प्रदर्शक के समान है .आप सब भी इसका अवलोकन अवश्य करें इनके ब्लॉग का लिंक है-
"http://searchoftruth-rajeev.blogspot.com/" और ये पोस्ट राजीव जी से भी एक निवेदन करने के लिए लिखी जा रही है कि अगर आप ब्लॉग जगत को अपना परिवार समझते है तो खुल कर सामने आयें क्योंकि सच सभी के सामने खुला होना चाहिए और सच को किसी परदे की कभी आवश्यकता नहीं पड़ती है .
3 टिप्पणियां:
सच कहा आपने शिखा जी !सांच को आंच नही !राजीव जी जेसे इंसान को सामने आना ही चाहिए ...
शालिनी जी आम इंसान गुप्त सन्तमत को नहीं समझता । प्रशंसा प्रतिष्ठा सम्मान ये सब साधु के लिये विष हैं । " मान बङाई ईर्ष्या..लख चौरासी लायँ । बहुत ऊँचाई पर जाकर भी साधु इन तीन दोष से फ़िर नीचे गिर जाते हैं । हाँ..अपना परिचय देने में कुछ गलत नहीं । समय आने पर अवश्य दूँगा ।..हम सभी से आत्मिक प्रेम करते हैं ।..छेङछाङ की टोन में बात करना कालेज टाइम से मेरी आदत है । इसी आदत के चलते तीन साल के बच्चे मुझसे यार कहते हैं । अपने बराबर का महसूस करते हैं । मैं को एजूकेशन में पढा हूँ । वहाँ भी हम छात्र छात्रायें एक दूसरे को मित्र के तौर पर
मर्यादा के अन्दर दोस्ताना अन्दाज में छेङते थे । सौभाग्य से ब्लागिंग में भी मुझे आप जैसे कुछ साथी मिल गये । जिन से हँसी मजाक हो जाता है ।
rajeev ji ka blog yahan prastut karne ke liye hardik dhanyawad.
rajeev ji kee tippani padhi.samay ka intzar rahega.aakhir vah bhi to kabhi aayega.
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