गुरुवार, 30 जून 2011

इक जिद है मेरी ....!!!आहुति'

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आहुति'


सुषमा "आहुति" शिक्षा-बी.एड.एम.ए.( यु जी सी नेट समाजशास्त्र) कार्य-डिग्रीकॉलेज में प्रवक्ता... पिता-श्री हरी चन्द्र माता-श्रीमती जमुना देवी.... पता- ८४/१७२ झकरकटी जी टी रोड कानपुर... मोबाइल नंबर...9580647382 ब्लॉगलिंक-sushmaaahuti.blogspot.com ....... परिचय-मेरा परिचय तब तक अधूरा है जब तक मै अपने माता पिता का जिक् ना कर लूँ आज मै जो कुछ भी हूँ इनके ही त्याग और कठिन संघर्ष के कारण ही हूँ इनके ही दिये आर्शीवाद और दिये संस्कारो से ही आज मैने अपनी पहचान बनायी है ....................!!!!!!!! मै भी दरिया हूँ सागर मेरी मंजिल है, मै भी सागर मेँ मिल जाऊँगी, मेरा क्या रह जायेगा...................... कल बिखर जाऊँगी हर पल मेँ शबनम की तरह, किरने चुन लेगी मुझे.... जग मुझे खोजता रह जायेगा.....!!!
ये प्रोफाइल है सुषमा जी का और आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं इन्ही के ब्लॉग  आहुति 
        से बहुत भावनात्मक लेखन से परिपूर्ण इनका ब्लॉग आप सभी के लिए शानदार प्रस्तुति देखने का एक बहुत सुन्दर साधन है.सुषमा जी के ब्लॉग पर आज जो प्रस्तुति है वह देखने चलिए वहीँ देखें पहले फिर यदि आप चाहें तो यहाँ भी देख सकते हैं-उनके ब्लॉग का url http://sushma-aahuti.blogspot.com है-
उनकी प्रस्तुति ये है-

Friday, 1 July 2011

इक जिद है मेरी ....!!!

इक जिद है मेरी,                         
तुम्हे पाने की..                    
इक जिद है मेरी,
तुम्हे ना भुलाने की..
इक जिद है मेरी,
तुम्हारे साथ मंजिल तक जाने की..
इक जिद है मेरी,
हर पल तुम्हारा साथ देने की...
इक जिद है मेरी,
तुम्हे जीत लेने की..
इक जिद है मेरी,
तुमसे हार जाने की....!!!

बुधवार, 29 जून 2011

महावीर-हनुमाना-बिनवाऊ -हनुमाना

आज आप सभी सोच रहे होंगे की मैं यहाँ किस विशिष्ट हस्ती का ब्लॉग लेकर उपस्थित हुई हूँ.राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ जी इनके बारे में हमें पहले भी बता चुके हैं और इनके ब्लॉग पर जाकर मैं भी संस्मरण और आध्यात्म का मिला जुला स्वरुप देख चुकी हूँ और चाहती हूँ की आप भी इस अद्भुत ज्ञान से परे न रहें.८२ वर्ष की उम्र में भी लम्बी बीमारी को झेलकर भी वे उत्साह से परिपूर्ण हैं और हम सभी से जुड़कर अपनी जिंदगी में कुछ खुशियाँ समेट लेना चाहते हैं तो आइये हम सभी उनके ब्लॉग "महावीरहनुमाना-बिनवाऊ -"से जुड़ें और उन्हें अपने साथ जोड़ लें.वैसे भी हमारे ये बड़े बुज़ुर्ग हमारे लिए एक ऐसी छतरी के सामान हैं जो हमारी धूप पानी आदि विपदाओं से रक्षा करती है.इनके ब्लॉग का लिंक है-

[we have given this blog's introduction earlier .please visit this blog ]
shikha kaushik

मंगलवार, 28 जून 2011

हिंदी साहित्य पहेली से जुड़ें







''है भव्य भारत ही हमारी मात्रभूमि हरी-भरी,
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा और लिपि है नागरी.''
     -श्री मैथली शरण गुप्त जी 
हिंदी साहित्य पहेली से जुड़ें और हिंदी ज्ञान बढ़ाएं .आज के समय में हिंदी के प्रचार प्रसार में हम हिंदी चिट्ठाकारों का ये कर्त्तव्य बनता है की हम हिंदी को उसके योग्य पद पर विराजमान होने में सहयोग करें और यह हम अपने हिंदी ज्ञान को बढ़ाकर ही कर सकते हैं.तो आइये हिंदी साहित्य पहेली से जुड़ें और इस दिशा में अपने कदम बढ़ाएं.
हिंदी साहित्य पहेली का url http://shalinishikha.blogspot.com है-
                                   शालिनी कौशिक 

सोमवार, 27 जून 2011

आइये'' नवांकुर ''देखने चलें

पहले नोट कीजिये इस ब्लॉग का url http://mukeshscssjnu.blogspot.कॉम-''
ये ब्लॉग है इनका-
''मेरा फोटो
पहचानिए ये कौन हैं 
ये हैं ''मुकेश कुमार मिश्र ''ये अपने प्रोफाइल को लोंक रखते हैं और ज्यादा कुछ नहीं बताते अपने बारे में सिर्फ इतना की ये j .n .u . के स्टूडेंट हैं .ये प्रतिभाशाली लेखक हैं और न केवल ब्लॉग जगत में अपितु इनकी प्रतिभा का लोहा प्रतियोगिता दर्पण ग्रुप भी मानता है और ये इनके ब्लॉग पर इनकी प्रस्तुति ही बता रही है जो प्रतियोगिता दर्पण के वाद विवाद में प्रथम चुनी गयी है.आप भी इनके ब्लॉग का अवलोकन कर हमारी खोज की सत्यता को परख सकते हैं .
        शालिनी कौशिक 

दीपक जी को आपके प्यार और स्नेहिल भावनाओं की जरूरत है

वैसे आम तौर पर मैं हँसी मजाक के बिना पोस्ट नहीं लिखता । पर कुछ ऐसे इंसान मिल जाते हैं । जिनकी भावनात्मक बातें और दिल से निकली सच्चाई अन्दर तक प्रभावित करती है । तब हँसी मजाक चाहकर भी नहीं हो पाता । आज अचानक ऐसे ही एक इंसान दीपक जी और उनके ब्लाग से परिचय हुआ ।
दीपक जी के प्रोफ़ायल में मुझे एक अलग ही वेदना और टीस महसूस हुयी ।
इसलिये मैं चाहता हूँ कि पहले आप उनके आत्मकथ्य को ही पढें -
मैं एक छोटे से गाँव में रहता हूँ । 2011 में मैंने 12 वीं क्लास पास किया है । मेरा काम हमेशा यही रहता है कि मैं बिना किसी के मदद के ज्यादा से ज्यादा काम को अंजाम दूँ । मेरी हमेशा यही इच्छा रही है कि मैं कुछ अलग करूँ । मैं अपने बारे में यही कहूँगा कि मैंने अपनी लाइफ में हर किस्म के लोगो की संगत की है । और हकीकत तो यह है कि कोई मुझे पसंद नहीं करता । इसका कारण यह है कि मैं जो करना या कहना होता है । वो मैं चोरी छुपे नहीं करता । यही बात पसंद नहीं है । लोगों को मैं जैसा हूँ । वैसा ही मैंने अपना विवरण यहाँ दिया है । लेकिन एक दिन ऐसा जरुर आएगा कि जो लोग मुछसे नफरत करते हैं । वही प्यार करेंगे । मेरे परिवार में 4 लोग हैं । मैं । भाई । डैड और दादी । मेरी माँ बचपन में ही चल बसी थी


- इनकी एक ही लाइन - मेरी माँ बचपन में ही चल बसी थी..किसी भी समझदार इंसान को दृवित कर सकती हैं । माँ के प्यार के बिना बच्चे का बचपन और आगे की जिन्दगी कितनी सूनी सूनी रहती है । इसे कोई भी संवेदनशील इंसान समझ सकता है ।
मुझे ऐसा लगता है कि दीपक जी को आपके प्यार और स्नेहिल भावनाओं की जरूरत है । बाकी समझदार को इशारा काफ़ी होता है । क्योंकि इनका प्रोफ़ायल थोङे शब्दों में ही बहुत कुछ कह रहा है ।
*** दीपक जी ! ने अपनी फ़ोटो नहीं लगायी । इसलिये परिचय बिना फ़ोटो के प्रकाशित है ।
साथ ही मेरा शिखा जी और शालिनी जी से निवेदन है कि मैं बहुत शर्मीला स्वभाव का हूँ । अतः यहाँ लगायी परिचय पोस्ट की सूचना संबन्धित व्यक्ति को नहीं करता । अतः आप लोग मेरा इतना तो काम कर ही दिया करें । धन्यवाद ! आप सभी का आभार ।
इनके ब्लाग - दिल की जुवान । ब्लाग जमावङा हिन्दी ब्लाग की नयी पुरानी खबरें

शनिवार, 25 जून 2011

रोज अपने में कुछ नया ढूंढ लेती हूँ - डा. निधि टंडन

हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है - ज़िन्दगीनामा ।
- डा. निधि जी की ये बात तो पढकर मैं चौंक ही गया कि जिन्दगी भी एक किताब की तरह है । और उसको पढा भी जा सकता है । दरअसल मैं जिस स्कूल ( के पीछे ) से पढा हूँ । वहाँ तो हमारी मैम और सर ने यही बताया कि बेटा पढने लिखने में टाइम खोटी मत करना । खेलो कूदो । मौज करना । ये जिन्दगी चार दिन की है । बस ये सीख सूत्र मुझे इतना मन भाया कि किताब खोलकर ही नहीं देखी । और ( कक्षा ) 4 में 4 बार और 5 में 5 बार जमा रहा । वो भी इसलिये कि शिखा जी मेरी सूरत देखते देखते तंग आ गयी । और 0 में 10 उन्होंने खुद ही मुझे स्कूल से भगाने के लिये जोङ दिये थे । इस तरह कोरी कापी में मुझे 100 नम्बर मिले । शिखा कौशिक जी इस स्कूल की प्रिंसीपल थी ।
खैर..नहीं पढ पाया । तो आजकल सबसे प्राफ़िटेबल कंफ़र्टेबल सूटेबल लूटेबल झूटेबल हूटेबल etc बाबागीरी मन को भायी ।
अब डा. निधि टंडन जी की इस बात पर सोच रहा हूँ कि मैं भी अपना एक साधुनामा बाबानामा राजीवनामा लिख ही दूँ । तब तक प्लीज नो वेट ।
बट..डा. निधि टंडन जी की एक बात मुझे समझ नहीं आयी । और आयेगी भी कैसे ? मैं he ( man ) हूँ । न कि  she वे कहती हैं -लिखने में प्रसव सी पीड़ा होती है । जब तक अंतस में विचारों के कोलाहल को शब्दों में बाँधकर उसमें जीवन का संचरण कर कागज़ पर नहीं उकेर देती । चैन नहीं मिलता है । अपने विषय में लिखने की बात पर शब्द जैसे साथ छोड़ देते हैं ।


- अरे ! निधि जी आप भी ये क्या बात करती हो । मैं तो अपने बारे में लिखूँ । तो पूरा इंटरनेट ही अपनी ही ( झूठी ही सही ) तारीफ़ से भर दूँ । अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू बनना मैंने अपनी पङोसन शिखा जी से सीखा है ।
आगे निधि जी कहती हैं - और अपने इस रूप से पूर्णतया प्रसन्न हूँ । संस्कृत में भारतीय दर्शन पढ़ने के बाद सोच में अंतर आया । विचार परिपक्व हुए । अपने सुख के लिए लिखती हूँ । मैं चाहूंगी कि मेरी रचनाएँ पढ़कर आप लोग जो भी महसूस करें । अच्छा या खराब । मुझे अवगत कराएं । आपको अच्छा लगा । यह जानकर मेरा उत्साहवर्धन होगा । और यदि आपको खराब लगेगा । तो उस कमी को इंगित करके आप मेरा मार्गदर्शन करेंगे ।
- और ये हैं मेरे विचार निधि टंडन जी के बारे में -
लखनऊ उत्तर प्रदेश की डा. निधि टंडन जी संस्कृत में शोध करने के बाद कुछ वर्ष महाविद्यालय में पढ़ा चुकी हैं । जब तक वे अपने मन के भावों को लिखती नहीं हैं । उन्हें चैन नहीं मिलता है । उनके अनुसार -
ज़िन्दगी भी एक किताब सी है । जिसमें ढेरों किस्से कहानियां हैं । इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं । तो कुछ में ख़ुशी मुस्कुराती है । प्यार है । गुस्सा है । रूठना मनाना है । सुख दुख हैं । ख्वाब हैं । हकीकत भी है ।... उनका मानना है कि लिखना एक तरह से नव शिशु को जन्म देना है - लिखने में प्रसव सी पीड़ा होती है । जब तक अंतस में विचारों के कोलाहल को शब्दों में बाँधकर उसमें जीवन का संचरण कर कागज़ पर नहीं उकेर देती । चैन नहीं मिलता है । अपने विषय में लिखने की बात पर शब्द जैसे साथ छोड़ देते हैं । जीवन की इस यात्रा के 35 वसंत देख चुकी हूँ ।...फ़िर भी वे हर - रोज अपने में कुछ नया ढूंढ लेती हूँ । अभी तो मेरा खुद से भी कायदे से परिचय नहीं हो पाया है । हाँ लिखने पढ़ने का शौक है । संस्कृत में शोध करने के बाद कुछ वर्ष महाविद्यालय में पढ़ाया । फिर छोड़ दिया । आजकल गृहिणी हूँ । अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश । ब्लाग - ज़िन्दगीनामा

एक प्यार भरा ब्लॉग देखेंगे Love Everybody

एक  प्यार भरा   ब्लॉग  देखेंगे. लगा न कुछ विशेष लाई हूँ इस बार न केवल मेरे लिए बल्कि ये आपके लिए भी इतना ही पसंदीदा ब्लॉग होगा और मैं जानती हूँ की चाहे ख़ुशी का क्षण हो या गम का प्यार हर मर्ज़ की  दवा  होता है. हर किसी को प्रिय होता है तो आइये चलते हैं एक ऐसे ही ब्लॉग पर जिसक url है-
ये ब्लॉग विद्या जी का है और वे  अपने बारे में कहती हैं-

About Me

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A simple person is having with more love...


और उनके ब्लॉग पर जो पोस्ट इस समय है वह भी मनभावन  है



Saturday, June 25, 2011


**सारा प्यार **



मैं यह गाना बहुत पसन्नद करती हूँ 
मैं  आपने प्यार  के लिये




आप को कैसा लगा 


शालिनी कौशिक 
...



शुक्रवार, 24 जून 2011

रंग बिरंगी एकता का सन्देश देती गुडिया


बुधवार, 22 जून 2011

राजे शा के अटपटे कम चटपटे विचार


एक हैं श्री राजे शा जी । बङी अटपटी बातें करते हैं । या शायद अटपटी मुझे लगती हों । वास्तव में बङी चटपटी बातें करते हों । देखिये ना । इतना सब कुछ होने के बाद पूछ रहे हैं -
B.Com., M.A., B.Ed. Job : Graphics Designing, Hindi Copy writing, Graphics and Designing Trainer. Experience : Experienced of work with renowned INS accredited agencies. 
Worked for many reputed corporates and brands as a freelancer like; State Bank of India, LIC, New India Insurance Co., BSNL, Punjab National Bank, Mahindra & Mahindra, Eicher etc.. Contact for any job related to ad-agency criteria like ; releasing of Ad, Brand promotion, print media designing etc.
माय इंगलिश मै
मैं कौन हूँ ? मैं कौन हूँ ?? मैं कौन हूँ ???
अरे भाई ! राजे शा जी ! आप ही असली सूरमा भोपाली हो । और भोपाल में रहते भी हो ।
बङे कमाल के चुटकले सुनाते हैं । राजे शा जी । और मेरी तरह ग्यान ध्यान योग की बातें करते हैं । तब तो क्या खूब गुजरेगी । जब मिल बैठेंगे दीवाने ( बाबा ) दो
ये हैं राजे शा जी के अटपटे कम चटपटे विचार - सब जगह ही इतने अंधे बहरे लूले गूंगे यानि‍ वि‍कल अंग मि‍लते हैं कि‍ एक सही आदमी होने का अनुभव परेशान करता है । 
मैं साबुत आदमी की बातें कि‍ससे करूं ? रंगों की बात हो तो अंधा । शब्‍दों की बात करूं तो गूंगा । गीत के स्‍वरों की बात हो तो बहरा । मेरी‍ हर बात पर कोई न कोई नाराज हो ही जाता है । जि‍न्‍दगी की फि‍ल्‍म ही उलझी हुई है । जि‍तनी सीधी कर लें । उतना ही सुकून मि‍लता है । जि‍न्‍दगी के मल्‍टीप्‍लेक्‍स में कई फि‍ल्‍में एक साथ चलती हैं । 
माय मैथ्स मै


और इन्‍हें अलग अलग  समय में चैन से देखने लायक बनाने के लि‍ए दीवारें नहीं होती । एक फि‍ल्‍म का शोर दूसरी में सुनाई देता है । और समझ में बस ये आता है कि‍ इस जंजाल से नि‍कलने पर ही कोई उम्‍मीद कही होगी ।
 लेकि‍न बाहर भी सन्‍नाटों के सि‍वा कुछ हाथ नहीं  आता । खैर यही मेरी आपकी दुनि‍यां है । आप मेरा हि‍स्‍सा हैं । वैसे ही जैसे हाथ पैर आंख कान नाक सि‍र । 
तब अलग कैसे रहा जा सकता है । सवाल ही नहीं होता । इसलिये एक दूसरे को समझने के लि‍ए बात तो करनी ही होगी ।
राजे जी ने एक प्रश्न भी पूछा है । मगर अंग्रेजी में । देखिये - Do you believe that forks are evolved from spoons ?
अब आप लोग तो जानते ही हैं । मेरी हिंदुस्तानी इंगलिश इंटरनेशनल लेवल की है । अतः थोङा डाउन लेवल की सीखने के लिये मैंने शिखा जी को टयूटर रखा हुआ है । 
बह अलग बात है कि शिखा जी मुझे टयूट करते हुये खुद दस बार डिक्शनरी यूज करती हैं । और  you माने हम और we मीन्स तुम बताती हैं । come  मीन्स जाना और go मीन्स आना सिखाती हैं । 
अतः अपनी टयूटर के सिखाये अनुसार जब तक मैं इस प्रश्न को पहले पढ समझकर आपको बताऊँ । तब तक प्लीज नो वेट ।
ब्लाग - हँसना मना है जे कृष्‍णमूर्ति इन हि‍न्‍दी । 
योग मार्ग अजनबी
चलते चलते - जो हमारे बहन भाई । भैया भाभी । चाचा चाची । बाबा दादी आदि आदि कुरआन पाक को हिन्दी में पढना चाहते हों । 
उनके लिये एक बेहतर लिंक -
कुरआन हिन्दी में

मंगलवार, 21 जून 2011

अंदाज ए मेरा: बौने कद का बडा कलाकार.... गुमनामी में

अंदाज ए मेरा: बौने कद का बडा कलाकार.... गुमनामी में: "नत्‍थू दादा राजकपूर के साथ बिताए लम्‍हे, राजकुमार की ठाठ के गवाह, धर्मेन्‍द्र की जिंदादिली के किस्‍से, दारा सिंह की ताकत को करीब से देख..."

शुक्रवार, 17 जून 2011

चर्चामंच की स्थापना आदरणीय रूपचंद शास्त्री मयंक जी ने की - Dr. Anwer Jamal


आज आपको जानकारी देते हैं चर्चामंच की । ‘धार्मिकता की सच्ची कसौटी‘ शीर्षक से मेरा लेख आज की चर्चा में भी शामिल है।
यह मंच नियमित रूप से इतने अच्छे लिंक देता है कि पढ़कर वाक़ई मज़ा आ जाता है।
इस मंच की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां भेदभाव नहीं किया जाता किसी से भी । यही इसे लोकप्रिय बनाता है। मैं इसे शुरू से ही ब्लॉग जगत में भेदभाव झेलता आ रहा हूं और इसे मिटाने के लिए लड़ता भी आ रहा हूं। जब लड़ता हूं तो लोग कहते हैं कि यह विवाद पैदा करता है। जुल्म के खि़लाफ़ आवाज़ उठाने वाले पर ही बदनामी का ठप्पा लगा देते हैं नालायक़ लोग !
ख़ैर, आदरणीय रूपचंद शास्त्री मयंक जी ने चर्चामंच की स्थापना की है। आज तो कई लोग इस मंच पर अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं लेकिन एक समय था कि 3 माह तक उन्होंने अकेले ही इस मंच को संभाला। यह वाक़ई अद्भुत है, ख़ासकर वृद्धावस्था में। बुढ़ापे में भी मुझे उनमें बुढ़ापे का कोई लक्षण बहुत दिनों से नहीं मिला। शायरी वह ऐसी करते हैं कि आदमी को ‘सिद्ध मकरध्वज रस‘ खाने की नौबत ही न आए। यह आयुर्वेद की एक महौषधि है। डाक्टर साहब एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी हैं। इसलिए इस दवा का ज़िक्र कर दिया।
जनाब बच्चों के लिए भी गीत लिखते हैं। मुझे जनाब से मिलकर इतना मज़ा आया जितना कि आजकल आम चूस कर आता है।
उनकी बाल कविताएं पढ़कर मेरे अंदर का बचपन मेरे मन की सतह पर उभर आता है।
चर्चामंच का लिंक यह रहा :

"खूब लड़ी मर्दानी वह तो..." (चर्चा मंच-549)



और मेरी पोस्ट जो चर्चामंच पर है उसका लिंक यह है

धार्मिकता की सच्ची कसौटी - Dr. Anwer Jamal

कभी इस देश का हाल यह था कि रानी लक्ष्मीबाई ने ज़नाना लिबास उतार कर मर्दाना लिबास पहन लिया और घोड़े पर बैठकर दुश्मन की तरफ़ हमला करने भागीं और आज यह आलम है कि जो लड़ने निकला था भ्रष्टाचारियों से वह मर्दाना लिबास उतार ज़नाना लिबास में लड़ाई के मैदान से ही भाग निकला और फिर औरतों की ही तरह वह रोया भी।आज जिसके पास चार पैसे या चार आदमियों का जुगाड़ हो गया। वह एमपी और पीएम बनने के सपने देख रहा है। पहले तो केवल भ्रष्टाचारी और ग़ुंडे-बदमाश ही नेतागिरी कर रहे थे और फिर हिजड़े और तवायफ़ें भी नेता बन गए। उसके बाद अब समलैंगिक भी नेता बनकर खड़े हो रहे हैं कि देश को रास्ता हम दिखाएंगे।आप एक बार देश के सभी नेताओं पर नज़र डाल लीजिए। उनमें सही लोगों के साथ-साथ ये सभी तत्व आपको नज़र आ जाएंगे।जनता इन सबसे आजिज़ आ चुकी है। जिस पर भी वह विश्वास करती है, वही निकम्मा निकल जाता है। लोगों में निराशा घर कर रही है। जिसकी वजह से जगह-जगह आक्रोश में आकर लोग हत्या-आत्महत्या कर रहे हैं। हम सब एक भयानक भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में सांप्रदायिक राष्ट्रवाद कोढ़ में खाज की तरह समस्या को और ज़्यादा बढ़ा रहा है।ये हालात हैं जिन्हें हम एक दम तो नहीं बदल सकते लेकिन फिर भी लोगों के दिलों में आशा का दीपक ज़रूर जला सकते हैं। आप कुछ करें या न करें लेकिन लोगों की आशा और उनके सपनों को हरगिज़ मरने न दें। आदमी रोटी-पानी और हवा से नहीं जीता बल्कि वह एक आशा के सहारे जीता है। उसे यह आशा बनी रहती है कि एक समय आएगा, जब सब ठीक हो जाएगा।वह समय कब आएगा ?.....
यह देश धर्म-अध्यात्म प्रधान देश है तो यहां सबसे बढ़कर शांति होनी चाहिए।
अगर हम विभिन्न मत और संप्रदायों में भी बंट गए हैं और अपने अपने मत और संप्रदाय को सत्य और श्रेष्ठ मानते हैं तो हमें एक ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पित रहते हुए शांति और परोपकार के प्रयासों में एक दूसरे से बढ़ निकलने के लिए भरपूर कम्प्टीशन करना चाहिए।

आइये खूबसूरत आवाज़ के ब्लॉग पर- प्रतीक माहेश्वरी

इस ब्लॉग का url है-
  ब्लॉग पर प्रतिक महेश्वरी जी ने अपनी लेखन प्रतिभा को तो पाठकों के समक्ष रखा ही है और अपनी खूबसूरत आवाज़ में कुछ सुन्दर गीत भी लगाये  हैं तो सुनिए और पढ़िए .बहुत खूब प्रस्तुति है.
उनके ब्लॉग की पोस्ट का तो यही आनंद लीजिये 

बृहस्पतिवार, २६ मई २०११


सुख-दुःख के साथी

कॉलेज खत्म होने में बस कुछ ही दिन बाकी थे.. और हर किसी कि तरह सबको ये गम सता रहा था कि अब पता नहीं कब मुलाक़ात हो...
और सही भी था.. एक शहर में रहकर मिलना मुश्किल हो जाता है तो दूसरे-दूसरे शहरों में रहने वालों कि तो बात ही क्या..

राहुल और मोहित काफी अच्छे दोस्त थे पर दोनों कि नौकरी अलग-अलग शहरों में थी... उन्हें भी पता था कि अब किस्मत की बात है जब उनकी अगली मुलाक़ात हो..

कई साल बीत गए और राहुल की सगाई हुई और उसने मोहित को बुलाया.. पर नौकरी में व्यस्त रहने के कारण वह पहुँच नहीं पाया..
राहुल ने शादी में आने की पक्की बात कही और मोहित राज़ी भी हुआ.. पर बिलकुल अंतिम समय में उसे काम से विदेश यात्रा करनी पड़ी और वह फिर से राहुल कि ख़ुशी में शामिल ना हो सका..
अगला शुभ अवसर राहुल की बेटी होना था और इस बार मोहित खुद की शादी होने के कारण नहीं जा पाया..
राहुल को अब बहुत बुरा लगा कि हर ख़ुशी के मौके पर मोहित नहीं आता है पर वह भी इसके लिए कुछ कर नहीं सकता था...

फिर एक दिन कई सालों बाद मोहित राहुल के दरवाज़े पर खड़ा था.. अवसर इस बार भी था पर राहुल ने ज्यादा लोगों को बताया नहीं था.. मोहित को भी नहीं...
राहुल के पिता का निधन हो गया था और उसके सामने मोहित, उसका परम-मित्र खड़ा था उसके साथ, उसके दुःख में..
वह मित्र जो उसकी किसी ख़ुशी में शामिल नहीं हो पाया था पर दुःख में उसके कंधे पर हाथ रख कर सांत्वना देता हुआ खड़ा था...
राहुल ज्यादा कुछ बोल नहीं पाया.. आश्चर्य से कुछ क्षण देखता रहा और फिर रोने लगा.......

और इनकी खूबसूरत आवाज़ में इनके ब्लॉग पर सुनिए''मुसुमुसुहाती दिल..''बहुत अच्छा लग रहा है आप भी यही कहेंगे.

मेरा फोटो
पढ़िए और मुझे बताइए..

ये हैं प्रतीक जी इनसे मिलिए और बताइए क्या मैं सही नहीं कह रही हूँ
                                                                        शालिनी कौशिक


रविवार, 12 जून 2011

ब्लॉग जगत की जानी -मानी हस्ती -डॉ .अनवर जमाल जी से मिलेंगे?

हो रहा है न आश्चर्य की मैं ब्लॉग का जिक्र न कर एक ऐसे ब्लोग्गर का जिक्र कर रही हूँ जो शायद ब्लॉग जगत में अपनी टिप्पणियों को लेकर बहुत विवाद में रहते है किन्तु उनकी एक खासियत भी है जो मैंने स्वयं महसूस की है वो ये कि वे नए ब्लोगर्स को यहाँ अपना स्थान बनाने में बहुत साथ देते हैं और यही कार्य कर रहे हैं वे अपने एक ब्लॉग''बड़ा ब्लोगर्स कैसे बने ''के माध्यम से इस ब्लॉग का url है-http://tobeabigblogger.blogspot.कॉम अपने इस ब्लॉग पर डॉ.साहब बताते हैं बड़े ब्लोगर बनने के टिप्स जो कुछ यूँ हैं-

SUNDAY, JUNE 12, 2011


डर को जीत कर ही लिखता है 'बड़ा ब्लॉगर'

'How to stop worring and start living ?' में डेल कारनेगी जी ने चिँता और तनाव से मुक्ति पाने के बहुत से तरीक़े बताए हैं । उनमें से एक तरीक़ा यह है कि आदमी जो भी कारोबार , नौकरी या आंदोलन कर रहा है । उसमें बुरे से भी बुरा जो कुछ संभव हो , अपने लिए उसकी कल्पना करे और अपने मन को उस नुक़्सान को सहने के लिए तैयार कर ले । यह आसान नहीं है लेकिन जैसे ही आदमी यह अभ्यास करता है वैसे ही वह डर से आगे निकल कर वहाँ पहुँच जाता है जहाँ जीत है ।
ब्लॉगिंग करने वालों का जीवन पहले से ही कई तरह के तनाव से भरा होता है । उससे मुक्ति पाने के लिए वे ब्लॉगिंग शुरू करते हैं लेकिन यहाँ सुख के साथ कम या ज्यादा कुछ न कुछ दुख और चिंता उन पर और सवार हो जाती है । नज़रिए का अंतर भी यहाँ आम बात है और बदतमीज़ी भी ।
'कौन बनेगा सर्वेसर्वा ?' की कोशिश में यहाँ गुट भी बने हुए हैं और गुट बनते ही गुटबाज़ी के लिए हैं । गुटबाज़ी से टकराव और टकराव से केवल तनाव पैदा होता है । जो बदमाश है वह यहाँ धमकियाँ देता है कि जान से मार दूँगा और जो क़ानून का जानकार है वह क़ानूनी लक्ष्मण रेखा खींचता रहता है कि कौन ब्लॉगर क्या कर सकता है और क्या नहीं ?
ग़ुंडा हो या वकील , काम दोनों डराने का ही करते हैं।
डराता कौन है ?
याद रखिए जो ख़ुद डरा हुआ होता है वही दूसरों को डराता है । अपना डर छिपाने और दूसरों को डराने की कोशिश तनाव को जन्म देती है । ऐसी कोशिशें छोटेपन का लक्षण होती हैं।
बड़ा ब्लॉगर निर्भय होता है। वह मानता है कि उसका परिवार , उसका रोज़गार और उसका जीवन जो कुछ भी उसके पास है वह उनमें से किसी भी चीज़ का मालिक नहीं है । इन सब चीजों का मालिक वास्तव में सच्चा मालिक है और वह स्वयं तो केवल एक अमानतदार है । वह इन चीजों को लेने में भी मजबूर है और इन्हें देने में भी ।
जो चीज़ उसे दी गई है वह उससे एक दिन ले ली जाएगी । मालिक
दुनिया में निमित्त और सबब के तौर पर चाहे किसी दुश्मन को ही इस्तेमाल क्यों न करे लेकिन होता वही है जो मालिक का हुक्म होता है ।
सत्य और असत्य के इस संघर्ष में सब कुछ ईश्वर की योजना के अनुसार ही होता है लेकिन आदमी अपने विवेक का ग़लत इस्तेमाल करके खुद को सच्चे मालिक और मानवता का मुजरिम बना लेता है ।
यह तत्व की बात है और जो तत्व को जानता है उसे कोई चीज़ कभी नहीं डराती।
याद रखिए , चीज़ें ,घटनाएं और आदमी आपको नहीं डरातीं बल्कि आपको डराता है उन्हें देखने का नज़रिया।
ज्ञान आता है तो डर ख़ुद ब ख़ुद चला जाता है और जैसे ही डर से मुक्ति मिलती है आदमी बड़ा ब्लॉगर बन जाता है ।
              पूरी  पोस्ट  ही  यहाँ इसीलिए  ले  आयी  हूँ ताकि  आप  यही से कुछ टिप्स आजमा    कर दे ख  लें .वैसे  वे अपने इस ब्लॉग का जिक्र यहाँ स्वयं भी कर सकते   थे   किन्तु जैसा   कि  आप   सभी   जानते   हैं कि अपने मुहं   मियां   मिट्ठू   तो   वे हैं नहीं  .हालाँकि   वे इस ब्लॉग के योगदानकर्ता   हैं किन्तु ब्लॉग में किसी   अन्य   ब्लॉग की जानकारी   देने   का कोई   योगदान   वे कभी   कभी ही  करते  हैं.
                 शालिनी  कौशिक 

शनिवार, 11 जून 2011

ॐ शिव माँ

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मेरा उद्देश्य ज्योतिष शास्त्र और परम गोपनीय मंत्र साधना के माध्यम से जनमानस का कल्याण करना है। हर पल "पीताम्बरा माई" से प्रार्थना है कि सच्चे और अच्छे लोगों का समस्या समाधान मेरी गुरु दया से होती रहे। मै जन्मपत्रिका और हस्तरेखा के माध्यम से ग्रह के शुभ अशुभ प्रभाव से जातक के कष्ट निवारण के लिए युक्ति ढ़ुँढ़ता हूँ।"दशमहाविद्या" एवं दिव्य मंत्र साधना से शीघ्र अनुभूति कराता हूँ। सम्पर्क:-9431258486,9507598912''
राज जी के ब्लॉग का URL है -''http://omshivmaa.blogspot.कॉम''.राज जी ने प्रस्तुत की है एक विशेष पोस्ट ''माँ पीताम्बरा माई''-
ब्लॉग भ्रमण द्वारा ही आप पूर्ण आनंद लेने में सक्षम हो पाएंगे आपका दिन मंगलमय हो.   .
                                   शिखा    कौशिक    

बुधवार, 8 जून 2011

ये दुनिया है ''रंग-रंगीली ''

ये दुनिया है ''रंग-रंगीली ''

मीनाक्षी पन्त जी के ब्लॉग का URL है -http://duniyarangili.blogspot.कॉम''
वे अपने विषय में लिखती हैं -
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Delhi, India
मेरा अपना परिचय आप सबसे है जो जितना समझ पायेगा वो उसी नाम से पुँकारेगा हाँ मेरा उद्द्श्ये अपने लिए कुछ नहीं बस मेरे द्वारा लिखी बात से कोई न कोई सन्देश देते रहना है की ज्यादा नहीं तो कम से कम किसी एक को तो सोचने पर मजबूर कर सके की हाँ अगर हम चाहे तो कुछ भी कर पाना असंभव नहीं और मेरा लिखना सफल हो जायेगा की मेरे प्रयत्न और उसके होंसले ने इसे सच कर दिखाया |
मीनाक्षी जी का लेखन न केवल सोचने को मजबूर करता है बल्कि आनंदित भी करता है .आज उनके द्वारा प्रस्तुत कविता ''बंसी की धुन ''ह्रदय'' को आनंद रस से सराबोर कर रही हैं -
बंसी की धुन तुम यूँ न बजाया करो |
हमें पल -पल तुम यूँ न सताया करो |
देखो पनघट पे आते  है ग्वाले बड़े ,
तुम ऐसे  हमें न बुलाया करो 
आप भी बंसी की धुन पर झूमिये और उनके ब्लॉग के रंग में रंग जाईये 
                                                              शिखा कौशिक.

मंगलवार, 7 जून 2011

अंदाज ए मेरा: सैर सपाटा

अंदाज ए मेरा: सैर सपाटा: "चलिए आज आप सबको जरा सैर कराई जाए। आपको मैं ले चलता हूं हैदराबाद। निजामों की नगरी पर्ल सिटी के नाम से मशहूर और सूचना प्रौदयोगिकी में अव्‍वल..."

आओ सदा जी से मिलें

   आज सदा जी का ब्लॉग देखा ब्लॉग पर हर प्रस्तुति एक से बढ़कर एक है आज की प्रस्तुति कुछ यूं है-






किसी से प्‍यार करना,
फिर उसपर खुद से ज्‍यादा
ऐतबार करना
कैसे किसी के लिये
यूं बेकरार हो जाना
भरी महफि़ल में तन्‍हां हो जाना
कभी तसव्‍वुर... कभी इंतजार
कभी बेरूखी प्‍यार की
सब बातों से परे
हसरत बस एक दीदार की
शिकायतें हजार हों प्‍यार में
फिर भी जाने क्‍यों ..
औरों के मुंह से शिकायत सुनना



सदा जी के ब्लॉग की एक और खासियत ने मुझे इसे आज ये ब्लॉग अच्छा लगा के मंच पर प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया और वह था इसका टेम्पलेट .पिछली पोस्ट में राजीव जी ने गर्मी से परेशानी व्यक्त की थी और तभी मैंने तय कर किया था की उनके लिए एक ऐसा ब्लॉग ज़रूर खोजूंगी और सदा जी की प्रस्तुति ने और टेम्पलेट दोनों ने ही मेरी मुश्किल को आसान कर दिया .


सदा जी अपने बारे में लिखती है.मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....


ब्लॉग का url है-[http://sadalikhna.blogspot.कॉम
आप सभी इस ब्लॉग पर अवश्य जाएँ और देखें कि मैंने सही बताया  है या गलत.
                              शालिनी कौशिक 

सोमवार, 6 जून 2011

मेरठ के मधुर

http://jalesmeerut.blogspot.कॉम ये लिंक जो आपको नज़र आ रहा है मात्र एक लिंक ही नहीं है बल्कि अभिव्यक्ति है बहुत सुन्दर भावों की और वह भी'' मधुर ''भावों के साथ.श्री अमरनाथ मधुर जी का ब्लॉग जलेस मेरठ बाट जोह रहा है आप जैसे साहित्य प्रेमियों की-वे अपने प्रोफाइल में कहते हैं-
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बहुत कम मिलनसार पर जिसे चाहा खूब चाहा और अन्य से भी यही अपेक्षा की है |
इतने कम शब्दों में अमरनाथ जी ने अपने साथ पूरे ब्लॉग जगत को जोड़ लिया है.अगर इतना कुछ पढ़ कर भी आप उनके ब्लॉग से दूर रहते हैं तो मुझे तो यही लगता है कि उनकी लेखनी साकिब ''लखनवी ''के शब्दों में यही कहेगी-
''किस मुहं से जबान करती इजहारे परेशानी,
जब तुमने मेरी हालत सूरत से न पहचानी.''
                                 शालिनी कौशिक 
http://yeblogachchhalaga.blogspot.com