रविवार, 5 फ़रवरी 2012

आ...अब हम सब मिलकर अपने वतन की किस्मत को बदल दें...!!


अरे ओ लालची पागल इंसान !
देख उधर उत्तर-पूर्व में तेरा पडोसी हो रहा है महान
जिससे अपनी भूमि वापस लेने की खायी थी कसमें
अब उससे आँख मिलाना भी नहीं है तेरे बस में !
सिर्फ अपना घर और तिजोरी भरने में मशरूफ तू
क्या तुझमें गैरत नाम की कोई चीज़ बची भी है,
कि देश के एक अदने से आम इंसान से तू आँख मिला भी सके ??
अबे कितना खायेगा बे तू कितना खायेगा बे ?
अबे मर जाएगा...अबे मर जाएगा !!
अबे कभी इस तरह तो सोच कर देखा कर कि
जब खुद की निजी ताकत और शानो-शौकत से
मिलती है तुझको इतनी ज्यादा खुशी
तब समूचे देश की तरक्की और महानता से
हरेक देशवासी को मिलेगी कितनी अपार खुशी !!
अगर तू जरा सा भी अपने लालच को विराम दे सके अगर
तेरे वतन को बहुत राहत मिल जायेगी अरे ओ कमीने रहबर !!
इन्हें गाली नहीं,अपने आने वाले कल का आगाज समझ
कि मुझे मार भी देगा तू, तो ये गालियाँ गली-गली उठने वाली हैं
तू ये समझ ले कि अब बस तेरी शामत आने ही वाली है !!
अरे अंधे ,आँख खोल और देख कि
चारों तरफ चीन-चीन-चीन की आवाजें आ रही हैं !
और यहाँ भारत में तेरे कारनामों से
देश की इज्ज़त की अर्थी उठी जा रही है...!!
तुझे देश की अर्थी निकालने के लिए ही पैदा किया था
तेरे माँ-बाप ने...??
भारतमाता की आबरू लूटने के लिए ही आज़ाद करवाया था
इस वतन को तेरे बाप के बाप के बाप ने....??
तेरे बाप के बाप को मरे तो अभी ज्यादा वक्त भी नहीं बीता
अरे मेरे भाई ये तूने क्या कर दित्ता....क्या कर दित्ता....!!??
शाम को जो लौट कर घर वापस आ जाए, उसे भूला नहीं कहते है !
वक्त पर जो संभल जाए ,उसे बड़े माफ कर देते हैं !!
तू सच जान मेरे अनाम-अनजान भाई
तेरी-मेरी भारतमाता का दिल बहुत बड़ा है !
और तेरे सामने भी अभी रास्ता बहुत लंबा पड़ा है !!
अब भी जाग जाए अगर तू अगर ओ भले इंसान
भारत के भाग ही जाग जायेंगे, बन जाएगा फिर ये महान !!
बहुत दिनों तक अपने सपनों को ढो लिया रे ओ पागल
तेरे सामने हो रहा है तेरे ही वतन का मातम
आ...गले मिल...स्वार्थों को एक तरफ रख
आ... हम सब अपने सारे स्वार्थों को अब ताक पर धर दें....
आ...अब हम सब मिलकर अपने वतन की किस्मत को बदल दें...!!

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